भारतीय इक्विटी बेंचमार्क में लगातार चौथे हफ्ते गिरावट दर्ज हुई, जो मई 2022 के बाद लगातार चौथी साप्ताहिक गिरावट है। दरों में बढ़ोतरी और चीन की बीमार अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता के बीच ऐसा हुआ है।
शुक्रवार को सेंसेक्स 202 अंक गिरकर 64,948 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी ने 55 अंकों की गिरावट के साथ 19,310 पर कारोबार की समाप्ति की। दोनों सूचकांक सप्ताह में 0.6 फीसदी टूटे और एक महीने पहले की रिकॉर्ड ऊंचाई से करीब 4 फीसदी नीचे हैं।
चीन के रियल एस्टेट क्षेत्र के अलावा बैंकिंग को लेकर समस्या ने डर पैदा किया है। करीब एक लाख करोड़ युआन की परिसंपत्तियों का प्रबंधन करने वाली जेडस एंटरप्राइजेज ने गुरुवार को कहा कि उसे कर्ज के पुनर्गठन की दरकार है। खबरें बताती है कि कंपनी ने चीन के रियल एस्टेट क्षेत्र को काफी कर्ज दे रखा है और अपने निवेशकों को भुगतान रोक दिया है।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा, चीन में शैडो बैंकिंग संकट ने अनिश्चितता को चरम पर पहुंचा दिया है। अगर चीन की अर्थव्यवस्था संकटग्रस्त होती है तो तेल व कच्चे माल की मांग घटेगी और इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था की रिकवरी पर असर दिखेगा। इसके अतिरिक्त चीन में पैकेज की बहाली को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई है।
फेडरल रिजर्व का मिनट्स सामने आने के बाद वैश्विक स्तर पर बाजार थका व सुस्त रहा है। मिनट्स से संकेत मिलता है कि उसके अधिकारी महंगाई पर लगाम कसने के लिए दरों में बढ़ोतरी पर विचार कर रहे हैं। इस खबर ने निवेशकों की उम्मीद धराशायी कर दी, जो मान रहे थे दरें सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुकी है। विश्लेषकों ने कहा कि भविष्य में भारतीय बाजार एकीकरण का दौर देख सकते हैं क्योंकि सभी क्षेत्रों में महंगे मूल्यांकन बढ़त की संभावना को सीमित कर देगा। इस बीच, उचित आर्थिक हालात, उपभोग क्षेत्रों के लाभ व वॉल्यूम में सुधार गिरावट को संरक्षित कर सकते हैं।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज द्वारा इस सप्ताह जारी रिपोर्ट में कहा गया, ‘हम भारतीय बाजार के लिए पर्याप्त सकारात्मक और संभावित नकारात्मक बदलावों का अनुमान जता रहे हैं जो अगले कुछ महीनों में एक-दूसरे की भरपाई कर सकती हैं जिससे बाजार के लिए समेकन की अवधि को बढ़ावा मिल सकता है।’
ब्रोकरेज ने निवेशकों को ज्यादा सतर्कता बरतने का सुझाव दिया है और कहा है कि जोखिम अज्ञात क्षेत्रों से पैदा हो सकते हैं।
भारतीय बाजार के मौजूदा मूल्यांकन में कई अल्पावधि और मध्यावधि सकारात्मक बातों का असर काफी हद तक दिख चुका है, लेकिन किसी अल्पावधि जोखिम और मुनाफा कम होने की मध्यावधि चुनौती का संकेत नहीं दिखा है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मौजूदा मूल्यांकन में सुरक्षा की कोई गुंजाइश नहीं है और किसी विपरीत घटनाक्रम से शेयर कीमतों में बड़ी गिरावट आ सकती है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) करीब 267 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 339 करोड़ रुपये की खरीदारी की। अगस्त में अब तक एफपीआई 9,119 करोड़ रुपये के खरीदार रहे हैं।
सेंसेक्स के दो-तिहाई से ज्यादा शेयरों में गिरावट आई। आईटी शेयरों ने सूचकांकों पर ज्यादा दबाव डाला।
अदाणी समूह के शेयरों में उन खबरों के बाद तेजी आई जिनमें कहा गया कि अबू धाबी का टीएक्यूए समूह कंपनी में बड़े निवेश की तैयारी कर रहा है। हालांकि कंपनी ने स्पष्ट किया कि इस तरह की कोई बातचीत नहीं चल रही है। बाजार धारणा कमजोर रही और बीएसई पर गिरने वाले शेयरों की संख्या 2,132 तथा चढ़ने वाले शेयरों की संख्या 1,484 थी।
अगले सप्ताह निवेशकों की नजर आगामी रुझान जानने के लिए जैकसन होल में होने वाली बैठक पर लगी रहेगी।