Textile Stocks: टेक्सटाइल कंपनियों के शेयरों में मंगलवार (8 जुलाई) को जबरदस्त तेजी देखी गई। वर्धमान टेक्सटाइल्स, गोकलदास एक्सपोर्ट्स, सियाराम सिल्क मिल्स, आलोक इंडस्ट्रीज, इंडो काउंट इंडस्ट्रीज, संगम इंडिया और नाहर स्पिनिंग मिल्स के शेयर इंट्रा-डे में बीएसई पर 15% तक चढ़ गये।
बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स पर इंट्रा-डे में टॉप 5 में से 4 शेयर टेक्सटाइल सेक्टर से थे। ये 15% तक उछले। इसके मुकाबले बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) लगभग सपाट था और 83,431 के आसपास कारोबार कर रहा था।
पिछले हफ्ते अमेरिका ने वियतनाम के साथ एक व्यापार समझौता किया। इसमें वियतनाम से होने वाले सभी निर्यात पर 20% टैरिफ और ट्रांसशिप्ड (तीसरे देश के ज़रिए भेजे गए) सामान पर 40% टैरिफ लगाने की घोषणा की गई।
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एनालिस्ट्स के अनुसार, अगर यूएस के साथ समझौते में भारत को टैरिफ में राहत मिलती है, तो भारत की अन्य निर्यातक देशों पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त और अमेरिका में बाजार हिस्सेदारी दोनों बढ़ सकती हैं। लेकिन अगर टैरिफ में कोई बदलाव नहीं हुआ, तो भारत अपनी बढ़त वियतनाम के मुकाबले खो सकता है। बांग्लादेश पर भी अमेरिका ने 35% टैरिफ लगाया है। हालांकि, यह पहले 37% था। यानी कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया। वहीं, वियतनाम से आयात पर अमेरिका ने हाल ही में 20% टैरिफ लगाया गया है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के अनुसार, बांग्लादेश अमेरिका को रेडीमेड गारमेंट निर्यात करने वाला एक प्रमुख देश है। इसकी अमेरिका को निर्यात में बाजार हिस्सेदारी 9% है। वियतनाम की हिस्सेदारी 19% है। भारत के लिए अब तक टैरिफ 10% है, जबकि टेक्सटाइल सेक्टर पर औसतन 26% टैरिफ लगता है।
ब्रोकरेज का कहना है कि यदि भारत अमेरिका के साथ अनुकूल व्यापार समझौता कर पाता है, तो चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों की तुलना में भारत के टेक्सटाइल निर्यात पर टैरिफ कम हो सकते हैं। इससे अमेरिका में भारत की हिस्सेदारी 6% से आगे बढ़ सकती है।
ऐसा अनुमान है कि भारत और अमेरिका अगले कुछ दिनों में एक मिनी-ट्रेड डील साइन कर सकते हैं। इससे प्रमुख सेक्टर्स के लिए नए टैरिफ तय होंगे। फिलहाल, भारतीय टेक्सटाइल निर्माताओं के लिए आउटलुक पॉजिटिव है।
हालांकि, गोकलदास एक्सपोर्ट्स और वेलस्पन लिविंग जैसी कंपनियों ने माना है कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में मार्जिन पर दबाव बना रह सकता है। इसके पीछे वैश्विक खरीदारों की सतर्कता, लागत और मांग को लेकर अनिश्चितता जैसे कारण हैं।
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इसके बावजूद, भारतीय कंपनियां पॉजिटिव बनी हुई हुए हैं और मौजूदा कमजोरी को अस्थायी मान कर चल रही हैं। अर्विंद और पर्ल ग्लोबल जैसी कंपनियां वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में मजबूत रिकवरी की उम्मीद के साथ डबल-डिजिट ग्रोथ का अनुमान जता रही हैं।
हाल ही में भारत और यूके के बीच हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (UK-FTA) से भारतीय टेक्सटाइल कंपनियों को फायदा मिलेगा। इससे ये कंपनियां यूके में अपनी उपस्थिति बढ़ा सकेंगी और अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम होगी। जेएम फाइनेंशियल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का विशाल बाजार, बेहतर एग्जीक्यूशन और वियतनाम में ऊंची लागत जैसे कारण भारत की होम टेक्सटाइल और गारमेंट कंपनियों के पक्ष में काम कर रहे हैं।