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नाम के ही न रहें स्वतंत्र निदेशक, जिम्मेदारी भी लें: सेबी चेयरमैन पांडेय

तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि स्वतंत्र निदेशक अब महज मानद नियुक्त या दोस्ताना आलोचक नहीं रह सकते हैं। उन्हें जवाबदेही के सक्रिय संरक्षक के रूप में उभरना होगा।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- August 08, 2025 | 10:18 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कंपनियों के बोर्डों से अपनी कार्यप्रणाली पर दोबारा विचार करने का अनुरोध किया है और कहा है कि वे गवर्नेंस को महज अनुपालन कवायद के रूप में नहीं देखें। इंस्टिट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स की ओर से आयोजित सालाना निदेशक सम्मेलन 2025 में बोलते हुए सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि स्वतंत्र निदेशक अब महज मानद नियुक्त या दोस्ताना आलोचक नहीं रह सकते हैं। उन्हें जवाबदेही के सक्रिय संरक्षक के रूप में उभरना होगा।

पांडेय ने कहा कि गवर्नेंस एक चेकलिस्ट नहीं होना चाहिए बल्कि इसे एक आवश्यक तत्व माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बोर्ड अक्सर अनुपालन पर काफ़ी समय बिताते हैं, लेकिन वे संगठनात्मक संस्कृति के संकेतों पर शायद ही कभी बहस करते हैं। उन्होंने कहा, स्वतंत्र निदेशकों को बोर्ड रूम में सीट मिल सकती है लेकिन क्या उनकी बात सचमुच सुनी जा रही है या महज उनकी गिनती हो रही है? कागज पर तो विविधता है, लेकिन क्या विचारों में भी विविधता है?

पांडे ने कंपनियों के संचालन और बोर्ड द्वारा उनकी निगरानी के बीच बढ़ते अंतर को जिक्र किया। उन्होंने बढ़ते मूल्यांकन लेकिन बिना लाभ के रिकॉर्ड के साथ बाजार में उतरने वाली स्टार्टअप कंपनियों या मूल्य निर्धारण और नियुक्ति के बारे में निर्णय लेने वाले एआई मॉडल का उदाहरण दिया।

उन्होंने जोर देते हुए कहा, बाजार अब सिर्फ वित्तीय पहलुओं से संचालित नहीं होते। हितधारक अब पूछते हैं कि आप किसके लिए खड़े हैं? आप इस धरती के लिए, अपने लोगों के लिए और जनता के भरोसे के लिए क्या कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने उत्तराधिकार योजना और व्हिसलब्लोअर के रुझानों पर बातचीत का अनुरोध किया।

सेबी प्रमुख ने स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्तियों में विविधीकरण पर जोर दिया जो अनुभव, क्षेत्र और डेमोग्राफ के आधार पर होना चाहिए और जिसे एआई गवर्नेंस, साइबर खतरों और ईएसजी के खुलासे आदि का समर्थन होना चाहिए।

पांडेय ने कहा, स्वतंत्र निदेशकों को अपनी असहमति जाहिर करने में संकोच नहीं करना चाहिए। अगर जानकारी पुख्ता न हो तो सवाल उठाने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने गवर्नेंस मजबूत करने के लिए डिजिटल साधन अपनाने की भी वकालत की।

उन्होंने कहा, आज के बोर्ड ऐसे रीयल-टाइम डैशबोर्ड की मांग कर सकते हैं और करनी भी चाहिए, जो सार्थक जानकारी प्रदान करें न कि सिर्फ ढेर सारी पीडीएफ रिपोर्ट। कल्पना कीजिए ऐसे डैशबोर्ड की, जो कर्मचारियों के अचानक बाहर जाने, व्हिसलब्लोअर की शिकायतों, ईएसजी रुझानों या वेंडर संकेंद्रण जोखिमों पर नजर रखें और खबरों में आने से पहले ही उन्हें बोर्ड के ध्यान में लाएं।

संचालन टीम के रूप में बोर्ड

सामुद्रिक भाषा का इस्तेमाल करते हुए पांडेय ने कंपनियों की तुलना जहाज से की जिनका सीईओ कप्तान होता है और बोर्ड दिशासूचक या कम्पास होता है। उन्होंने कहा, कल्पना कीजिए कि जहाज को एक कप्तान नहीं बल्कि नाविकों की टीम चला रही है। हर किसी के पास अलग-अलग उपकरण, अलग-अलग दृष्टिकोण और यात्रा को सुरक्षित, कानूनी और सम्मानजनक बनाए रखने की साझा जिम्मेदारी है। वह टीम ही बोर्ड है।

पांडेय ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सेबी ने अपने कॉरपोरेट गवर्नेंस ढांचे को मजबूत बनाया है, जिसमें बोर्ड की संरचना, स्वतंत्रता और प्रमुख समितियों के संचालन की आवश्यकताओं का विवरण दिया गया है। इनमें ऑडिट, नामांकन और पारिश्रमिक और जोखिम प्रबंधन शामिल हैं।

First Published : August 8, 2025 | 9:53 PM IST