बेंचमार्क सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन आज जोरदार तेजी के साथ नई ऊंचाई पर बंद हुए और चुनाव नतीजों के दिन के निचले स्तर से करीब 9 फीसदी चढ़ गए।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बावजद घरेलू निवेशकों की ओर से मजबूत लिवाली, केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बरकरार रहने और आर्थिक वृद्धि का अनुमान बढ़ने से पिछले तीन कारोबारी सत्रों में बाजार तेजी पर बंद हुआ।
सेंसेक्स (Sensex) आज 1,619 या 2.2 फीसदी बढ़त के साथ 76,693 पर और निफ्टी (Nifty) 469 अंक या 2.1 फीसदी तेजी के साथ 23,290 पर बंद हुआ। दोनों सूचकांक 3 जून के अपने उच्चतम स्तर को भी लांघकर नई ऊंचाई पर बंद हुए।
निफ्टी इस हफ्ते 3.4 फीसदी चढ़ा
दोनों सूचकांकों में 4 जून के बंद स्तर से 6.4 फीसदी की तेजी आई है। 4 जून को चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले रहे थे, जिससे बाजार 6 फीसदी नीचे बंद हुआ था। कारोबार के दौरान इसमें 9 फीसदी की गिरावट आई थी। इस हफ्ते सेंसेक्स 3.7 फीसदी बढ़ा है, जो 22 जुलाई, 2022 के बाद सबसे बड़ी साप्तहिक बढ़त है।
निफ्टी (Nifty) इस हफ्ते 3.4 फीसदी चढ़ा है, जो 8 दिसंबर, 2023 के बाद इसकी सबसे बड़ी साप्ताहिक उछाल है। एक्जिट पोल में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को दो-तिहाई बहुमत मिलने का अनुमान लगाया गया था, जिससे उत्साहित होकर बेंचमार्क सूचकांकों में तीन साल की सबसे बड़ी एक दिनी उछाल दर्ज की गई थी।
बाजार में तेजी की वजह देसी निवेशकों की जोरदार लिवाली है, जिसके कारण विदेशी निवेशकों की बिकवाली हवा हो गई। देसी संस्थागत निवेशकों ने इस हफ्ते 5,579 करोड़ रुपये की शुद्ध लिवाली की जबकि विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 13,718 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
मंगलवार को 31.7 के स्तर पर पहुंचने के बाद इंडिया वीआईएक्स (India VIX) इस हफ्ते 16.8 पर बंद हुआ। इससे पता चलता है कि बाजार को स्थिरता नजर आ रही है।
राजग के सहयोगी दलों ने आज नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तीसरी सरकार को समर्थन देने का वादा किया। इससे राजनीतिक स्थिरता के बारे में निवेशकों की चिंता दूर होगी। मगर नीतियों में निरंतरता को लेकर चिंता बनी हुई है और विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार के पहले 100 दिन के एजेंडे को देखना दिलचस्प होगा।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘बाजार को राजनीति से ज्यादा आर्थिक नीतियों की चिंता होती है। चुनाव के नतीजे उम्मीद के अनुरूप नहीं थे और कई दलों वाले गठबंधन की सरकार के सत्ता में आने से सुधारवादी नीतियां बदले जाने की फिक्र थी। मगर राजग सहयोगियों के समर्थन से बनने वाली सरकार से नीतियों में निरंतरता को लेकर उम्मीद बंधी है। इसी कारण देसी निवेशकों ने बाजार में दांव लगाया है।’