भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने प्रशासन संबंधी मानदंडों को कहीं अधिक सख्त करने की तैयारी में है। बाजार नियामक ने नई-लिस्टेड कंपनियों द्वारा वित्तीय नतीजे दाखिल करने, प्रमुख प्रबंधकीय पदों पर नियुक्तियों में तेजी लाने और अनुपालन न होने की स्थिति में प्रमुख लोगों पर कार्रवाई जैसे क्षेत्रों में सूचीबद्धता दायित्व एवं खुलासा संबंधी मानदंडों को मजबूत करने का प्रस्ताव दिया है।
बाजार नियामक ने एक परामर्श पत्र में कहा है कि लगातार अनुपालन न होने की स्थिति में प्रबंध निदेशक (MD) एवं मुख्य कार्याधिकारियों (CEO) सहित पूर्णकालिक निदेशकों और प्रमोटरों के डीमैट खातों को फ्रीज कर देना चाहिए।
फिलहाल अनुपालन न करने अथवा जुर्माने की रकम का भुगतान न करने की स्थिति में केवल प्रमोटरों के डीमैट खातों को फ्रीज किया जाता है। नियमों में प्रस्तावित बदलाव से उन मामलों से भी निपटने में मदद मिलेगी जहां सूचीबद्ध कंपनियां पेशेवर तरीके से प्रबंधित हैं और जिनके पास पहचान योग्य कोई प्रवर्तक नहीं है।
बाजार नियामक ने मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO), कंपनी सचिव, प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी जैसे महत्त्वपूर्ण प्रबंधकीय पदों के खाली होने पर उन्हें तीन महीने के भीतर अनिवार्य तौर पर भरने का भी प्रस्ताव दिया है। फिलहाल इन पदों को भरने के लिए छह महीने की अवधि प्रदान की जाती है।
सेबी ने कहा है, ‘किसी सूचीबद्ध कंपनी के अनुपालन अधिकारी, सीईओ और सीएफओ को दी गई जिम्मेदारियों की गंभीरता के मद्देनजर ऐसे पदों के खाली होने पर सूचीबद्ध कंपनी द्वारा नियुक्तियों के लिए एक उपयुक्त समय-सीमा निर्धारित करने की आवश्यकता है।’
बाजार नियामक ने सूचीबद्ध कंपनियों में खाली पड़े किसी स्वतंत्र निदेशक के पद को तुरंत भरने की अनिवार्यता पर आम लोगों से राय भी मांगी है। ऐसे पद आमतौर पर किसी निदेशक के पदनाम में बदलाव, किसी गैर-स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति अथवा किसी मौजूदा अधिकारी का कार्यकाल पूरा होने के कारण खाली हो सकते हैं।
सेबी ने कहा है कि कंपनियों को निदेशक मंडल ढांचे में किसी भी बदलाव अथवा अनुपालन न होने के बारे में पहले से ही पता होता है और इसलिए उन्हें तुरंत इसका पालन करना चाहिए। फिलहाल किसी स्वतंत्र निदेशक के इस्तीफे या हटाये जाने के कारण रिक्त हुए पद को भरने के लिए तीन महीने का समय दिया जाता है।
बाजार नियामक ने अपने परामर्श पत्र में नई सूचीबद्ध कंपनियों के लिए खुलासा संबंधी मानदंडों को आसान बनाने का भी प्रस्ताव दिया है। प्रस्तावित मानदंडों के तहत, नई सूचीबद्ध कंपनियों को पहले वित्तीय नतीजे जारी करने के लिए 15 दिनों का समय दिया जा सकता है।
सेबी ने कहा, ‘वित्तीय नतीजे शेयर मूल्य के प्रति संवेदनशील जानकारी हैं। इसलिए सूचीबद्ध होने के तुरंत बाद ऐसे खुलासे से कंपनी का शेयर मूल्य प्रभावित हो सकता है।’ सेबी का यह भी मानना है कि पहले वित्तीय नतीजे जारी करने की समय-सीमा और सूचीबद्धता की तारीख के बीच पर्याप्त अंतर रखने के लिए आईपीओ को जानबूझकर बंच किया जा सकता है।
सेबी ने प्रस्तावित नियमों पर 6 मार्च तक आम लोगों से राय मांगी है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रस्तावित मानदंडों से भारतीय उद्योग जगत में कंपनी प्रशासन संबंधी मानकों में सुधार होगा और इससे अल्पांश निवेशकों के हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी।