भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) पर्यावरणीय, सामाजिक और प्रशासनिक (ESG) रेटिंग प्रदाताओं, यानी ईआरपी का पंजीकरण नए नियामकीय ढांचे के तहत अनिवार्य बनाने की योजना बना रहा है। इससे खुलासा, ESG scoring से संबंधित नियम बनाने और उभरते बाजारों के लिए उपयुक्त ईएसजी रेटिंग का दृष्टिकोण तैयार करने में मदद मिलेगी।
नए परामर्श पत्र में, पूंजी बाजार नियामक ने ESG scoring मानकों और रेटिंग प्रदाताओं के लिए एक नया ढांचा बनाने का प्रस्ताव रखा है।
मौजूदा समय में, ERP को किसी नियामकीय दायरे में नहीं रखा गया है, लेकिन वे प्रतिभूति बाजार को लगातार सेवाएं मुहैया कराते हैं, जो एक ऐसा जोखिम है जिस पर SEBI ने निवेशक सुरक्षा, पूंजी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विचार किया है।
प्रस्तावित मानकों के तहत, ERP को सेबी (क्रेडिट रेटिंग एजेंसीज) रेग्युलेशंस के तहत प्रमाणन हासिल करना होगा।
सेबी का कहना है कि रेटिंग प्रदाता ऐसी मुख्य ESG rating दे सकते हैं, जो भरोसेमंद या सत्यापित आंकड़े पर आधारित होगी।
चूंकि मौजूदा समय में ईएसजी रेटिंग में अंतर हैं और यही वजह है कि सेबी ने ईएसजी रिपोर्टिंग में कुछ खास न्यूनतम खुलासे निर्धारित किए हैं।
रिपोर्ट में मौजूदा स्कोर, पिछले आकलन से बदलाव, और नई समीक्षा की तारीख जैसे विवरण का खुलासा होगा।
सेबी ने पिछले एक वर्ष से ईएसजी-आधरित मानकों पर गहन बाजार केंद्रित परामर्श किया है। यह इस सप्ताह नियामक द्वारा ईएसजी पर जारी दूसरा परामर्श पत्र है।
शुरू में सेबी ने बिजनेस रेस्पोंसिबिनिटी ऐंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग कोर का प्रस्ताव रखा था और ईएसजी क्षेत्र में घरेलू मानकों पर ध्यान केंद्रित किया था।
ध्यान देने की बात यह है कि नियामक ने घरेलू संदर्भ में भारतीय कंपनियों के लिए अनुकूल एक अलग या समानांतर मानक विकसित करने का भी प्रस्ताव रखा था।
नियामक ने इन बदलावों के बारे में 8 मार्च तक सार्वजनिक सुझाव आमंत्रित किए हैं।