नकदी कारोबार में 10 आला ब्रोकरों पर नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की निर्भरता घटी है। इससे संकेत मिलता है कि उसके क्लाइंट आधार में व्यापक रूप से विविधता आई है और अब यह केंद्रित नहीं रह गया है। बाजार नियामक सेबी की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 10 अग्रणी ब्रोकरों की तरफ से एनएसई को क्लाइटों के योगदान की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 25 में घटकर 48.3 फीसदी रह गई जो वित्त वर्ष 24 में 63.7 फीसदी थी। बाजार के विशेषज्ञों ने कहा कि इस रुझान की वजह गैर-मेट्रो शहरों में निवेशकों के बीच एनएसई का विस्तार है।
एसोसिएशन ऑफ नैशनल एक्सचेंजेज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के अध्यक्ष के सुरेश ने कहा, छोटे शहरों में एनएसई के जागरूकता कार्यक्रमों ने ज्यादा लोगों को निवेश के लिए प्रोत्साहित किया है। इनमें से कई नए खाते मझोले और छोटे शहरों के स्थानीय ब्रोकरों के जरिये आ रहे हैं। साथ ही हम ब्रोकरों में नए लोगों को भी शामिल होते देख रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि जहां ग्राहक संकेंद्रण में कमी आई है, वहीं 10 बड़े ब्रोकरों के कारोबार का हिस्सा थोड़ा बढ़ा है और यह इस अवधि में 38.6 फीसदी से बढ़कर 41.5 फीसदी पर पहुंच गया है।
ऐसा ही रुझान बीएसई पर भी दिखता है। उसके 10 अग्रणी ब्रोकरों का सकल कारोबार वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 54.3 फीसदी हो गया जो वित्त वर्ष 2024 में 47.6 फीसदी था। ग्राहक आधार के संदर्भ में उनकी हिस्सेदारी एक साल पहले के 17.7 फीसदी से करीब दोगुनी होकर 32.6 फीसदी हो गई।
इस बीच,आंकड़ों से पता चलता है कि 100 अग्रणी शेयरों ने वित्त वर्ष 2025 में नकदी बाजार के कारोबार में 50.5 फीसदी का योगदान किया, जो पिछले वर्ष के 52.7 फीसदी से कम है। इससे ज्यादा लिक्विड शेयरों से परे व्यापारिक गतिविधि में मामूली विस्तार का संकेत मिलता है।