भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों- बीएसई और एनएसई- के शेयर इस हफ्ते टूट गए। इसकी वजह हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडरों पर नियामकीय जांच से टर्नओवर में गिरावट और इस कारण मुनाफे को लेकर चिंताएं पैदा हुईं। अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट पर 3 जुलाई को लगी पाबंदी के बाद से डेरिवेटिव टर्नओवर करीब 20 फीसदी घट गया है।
बीएसई का शेयर 3 जुलाई के स्तर से करीब 16 फीसदी टूट गया। यह गिरावट इंडेक्स ऑप्शंस में कथित हेराफेरी के कारण अमेरिकी प्रोप्राइटरी ट्रेडर जेन स्ट्रीट पर पाबंदी लगने के बाद देखी गई। बीएसई का शेयर शुक्रवार को 3.7 फीसदी टूटकर 2,376 रुपये पर बंद हुआ।
इस बीच, गैर-सूचीबद्ध शेयरों में कारोबार करने वाले प्लेटफॉर्म के अनुसार इस सप्ताह गैर-सूचीबद्ध नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के शेयरों की कीमत 13 फीसदी गिरकर 2,100 रुपये प्रति शेयर पर आ गई।
इससे एनएसई का बाजार मूल्यांकन घटकर 5.43 लाख करोड़ रुपये रह गया है। इससे पहले, इसके आईपीओ के उम्मीदों के बीच इसका शेयर तब 2,400 रुपये तक पहुंच गया था जब एक्सचेंज अपनी को-लोकेशन सुविधा में खामियों से जुड़े लंबे कानूनी मामले में नियामकों के साथ समझौते के करीब था।
ट्रेडजिनी के सीओओ त्रिवेश डी ने कहा, इस हफ्ते एनएसई और बीएसई के शेयरों में आई तेज गिरावट अल्पकालिक उथल-पुथल और बाजार के बदलते आयाम का मिलाजुला परिणाम है। डेरिवेटिव की एक्सपायरी में बदलाव ने ट्रेडरों को थोड़ा बेचैन किया है।
जेफरीज ने कहा, यह पता नहीं कि इस घटना से ट्रेडिंग वॉल्यूम पर कोई प्रभाव पड़ेगा या नहीं। हमारा मानना है कि अगले सप्ताह डेरिवेटिव वॉल्यूम के रुझानों पर नजर रखना अहम होगा, खास तौर पर मंगलवार और गुरुवार को इंडेक्स डेरिवेटिव एक्सपायरी के समय। शोध फर्म ने कहा कि जेन स्ट्रीट के बाहर निकलने का असर प्रोप्राइटरी ट्रेडरों और एचएफटी पर देखने को मिल सकता है क्योंकि हेरफेर के कारक काफी हद तक कम हो जाएंगे।
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जेफरीज ने कहा, हेज फंड मुख्य रूप से सिंगल स्टॉक फ्यूचर्स (एसएसएफ) में बड़ी पोजीशन के साथ काम करते हैं और ऑप्शंस में उनका कारोबार सीमित है। उन्होंने कहा कि जेन स्ट्रीट के बाहर निकलने से बीएसई की आय पर सीमित असर पड़ सकता है।