अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नई टैरिफ धमकी और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी के कारण रुपये में तीन दिन से जारी बढ़त का सिलसिला टूट गया। डीलरों के अनुसार आयातकों और तेल कंपनियों की डॉलर मांग ने भी घरेलू मुद्रा पर दबाव डाला। शुक्रवार को स्थानीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 85.80 पर बंद हुई। एक दिन पहले यह 85.65 प्रति डॉलर पर बंद हुई थी। चालू वित्त वर्ष में डॉलर के मुकाबले रुपये में 0.36 फीसदी की गिरावट हुई है और मौजूदा कैलेंडर वर्ष में अब तक इसमें 0.19 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, मूल्यह्रास उतना तेज नहीं था क्योंकि बातचीत की अभी भी उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि रुपया, डॉलर इंडेक्स को ट्रैक कर रहा था और कुछ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भी निकासी की।
ट्रंप ने गुरुवार को कहा था कि उनकी योजना 15 या 20 फीसदी का एकतरफा शुल्क लगाने की है। उन्होंने कनाडा से आयातित वस्तुओं पर 1 अगस्त से 35 फीसदी शुल्क लगाने की भी घोषणा की और चेतावनी दी कि अगर कनाडा जवाबी कार्रवाई करता है तो और भी ज्यादा शुल्क लगाया जाएगा।
एशियाई कारोबार में डॉलर सूचकांक 0.3 फीसदी बढ़कर 97.77 पर पहुंच गया। यह छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती मापता है। अब कारोबारी भारत और अमेरिका के बीच संभावित टैरिफ घोषणाओं का इंतजार कर रहे हैं, जिनसे मनोबल पर काफी असर पड़ सकता है। एसबीआई के 25,000 करोड़ रुपये के पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) से आगामी सप्ताह रुपये को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, अगले हफ्ते रुपया 85.50 से 86.00 प्रति डॉलर के दायरे में रहने की उम्मीद है। एसबीआई के 25,000 करोड़ रुपये के क्यूआईपी की संभावना है, जिससे रुपया पर असर पड़ सकता है। हम भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ की खबरों का भी इंतजार कर रहे हैं, जिस पर और लोगों की भी नजर है।