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NSE और BSE ने बदले डेरिवेटिव एक्सपायरी के दिन, SEBI ने दी मंजूरी

एक्सपायरी के दिन में बदलाव को बाजार हिस्सेदारी के आयाम पर असर के तौर पर देखा जा रहा है

Last Updated- June 17, 2025 | 10:07 PM IST
Share market holiday

बाजार नियामक सेबी ने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बीएसई को इक्विटी डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान के दिन बदलने की इजाजत दे दी है। इस कदम का बाजार हिस्सेदारी के आयाम पर असर दिख सकता है। अब एनएसई में डेरिवेटिव अनुबंध मंगलवार को एक्सपायर होंगे जबकि अभी एक्सपायरी का दिन गुरुवार है। उधर, बीएसई के अनुबंध गुरुवार को एक्सपायर होंगे, जो अभी मंगलवार को होते हैं। मई में, बाजार नियामक ने एक परिपत्र जारी कर एक्सपायरी को सप्ताह में केवल दो दिन तक सीमित कर दिया था और हर एक्सचेंज को एक दिन चुनने के लिए कहा था। मौजूदा एक्सपायरी के दिन 31 अगस्त तक प्रभावी रहेंगे। सितंबर से शुरू होकर दोनों एक्सचेंज अपने नए निर्धारित दिनों में बदलाव करेंगे।

पहले से शुरू किए गए अनुबंधों की एक्सपायरी के दिन अपरिवर्तित रहेंगे, सिवाय लंबी अवधि के इंडेक्स ऑप्शन अनुबंधों के, जिन्हें दोबारा संयोजित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त सेबी ने एक्सचेंजों को निर्देश दिया है कि वे 1 जुलाई से इंडेक्स फ्यूचर्स पर कोई नया साप्ताहिक अनुबंध शुरू न करें। एक्सपायरी के दिनों को सीमित करने के सेबी के निर्णय से पहले एक्सचेंजों के पास डेरिवेटिव अनुबंधों के लिए अपने अंतिम निपटान दिनों को बदलने को लेकर लचीलापन उपलब्ध था, जिसके कारण पिछले वर्ष में लगातार बदलाव हुए।

एक्सपायरी को सीमित करते समय सेबी ने कहा कि इसका लक्ष्य एक्सपायरी के दिनों में जरूरत से ज्यादा गतिविधियों को रोकना और बाजार में संकेंद्रण जोखिम को कम करना था। नियामक ने पहले कहा था कि पूरे सप्ताह में एक्सपायरी के दिनों को अलग-अलग रखने से स्टॉक एक्सचेंजों को प्रोडक्ट को अलग दिखाने के अवसर मिल सकते हैं।

एनएसई ने शुरू में एक्सपायरी का दिन सोमवार को स्थानांतरित करने की योजना बनाई थी, लेकिन इस पर सेबी के परामर्श पत्र के बाद योजना को त्यागना पड़ा, जिसे बाद में नियामक की मार्च की बोर्ड बैठक में मंजूरी दे दी गई।

एनएसई के चीफ बिजनेस डेवलपमेंट ऑफिसर श्रीराम कृष्णन ने कहा, एनएसई अनुबंध ज्यादा लिक्विड हैं और बाजार प्रतिभागियों द्वारा पसंद किए जाते हैं। अगर एनएसई की एक्सपायरी मंगलवार को होती है तो निपटान के दिन से ठीक पहले प्रीमियम चक्र शुरुआत की तुलना में कम होगा। इससे प्रतिभागियों के लिए समाप्ति से पहले के दिनों में एनएसई अनुबंधों का ट्रेड करना सस्ता हो जाएगा। एनएसई में अभी की तुलना में बहुत अधिक गतिविधियां देखने को मिल सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि एक्सपायरी दिनों में बदलाव के कारण बीएसई को कुछ बाजार हिस्सेदारी का त्याग करना पड़ सकता है।

बीएसई के एमडी और सीईओ सुंदररामन राममूर्ति ने कहा, चूंकि एनएसई ने मंगलवार का अनुरोध किया था, इसलिए बाजार के समग्र हित में हमने गुरुवार का दिन चुना है। बाजार हिस्सेदारी और वॉल्यूम कई कारकों से प्रभावित होते हैं। इस समय हमारे विश्लेषण को केवल एक कारक पर आधारित करना संभव नहीं है। परंपरागत रूप से गुरुवार बहुत लंबे समय से भारतीय बाजार के लिए एक्सपायरी का दिन रहा है। बाजार हिस्सेदारी में नुकसान की चिंता के बीच बीएसई का शेयर पिछले हफ्ते की रिकॉर्ड ऊंचाई से करीब 10 फीसदी नीचे आया है।

कुछ विश्लेषकों का मानना ​​है कि यह एक अल्पकालिक प्रतिक्रिया है और वे कंपनी पर सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। उनका मानना ​​है, चूंकि ट्रेडिंग पैटर्न पारंपरिक रूप से गुरुवार के लिए निर्धारित किए जाते हैं, इसलिए बाजार हिस्सेदारी का गंभीर नुकसान शायद नहीं हो सकता है।

नुवामा रिसर्च के मधुकर लाढ़ा ने कहा, बीएसई द्वारा अपनी एक्सपायरी को गुरुवार (वर्तमान में मंगलवार) तक आगे बढ़ाए जाने के कारण बीएसई को औसत दैनिक प्रीमियम टर्नओवर (एडीपीटीवी) में 1,500-1,800 करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है। यह लगभग 160 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 27 अनुमानित समायोजित पीएटी का 7.8 फीसदी) के सालाना कर-पूर्व लाभ (एपीएटी) असर के बराबर है। हमारे वित्त वर्ष 26 /वित्त वर्ष 27 के लिए एडीपीटीवी अनुमान 13,400 करोड़ रुपये/15,300 करोड़ रुपये हैं, जो वित्त वर्ष 26 टीडी एडीपीटीवी के 15,500 करोड़ रुपये के मौजूदा बाजार रुझान से कम है। इसलिए, भले ही हम प्रभाव को ध्यान में रखें, हमारे अनुमान में कोई खास बदलाव नहीं होगा।

लाधा को उम्मीद है कि बीएसई इंडेक्स ऑप्शन बाजार हिस्सेदारी में 200-300 आधार अंक की गिरावट दर्ज करेगा। विश्लेषकों ने यह भी कहा कि जून के दूसरे सप्ताह में बीएसई की बाजार हिस्सेदारी में साप्ताहिक आधार पर 500 आधार अंक की गिरावट आई है। बीएसई का प्रीमियम औसत दैनिक कारोबार दूसरे सप्ताह में करीब 10,500 करोड़ रुपये रहा, जो साप्ताहिक आधार पर 39 फीसदी कम है और अप्रैल और मई के औसत से 33 फीसदी कम है। गिरावट की वजह सप्ताह के दौरान कम उतारचढ़ाव रही। वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में जहां औसत प्रीमियम औसत दैनिक कारोबार (एडीटीओ) तिमाही आधार पर 30 फीसदी बढ़ा, वहीं जून में यह औसतन लगभग 13,800 करोड़ रुपये रहा।

First Published - June 17, 2025 | 10:00 PM IST

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