शेयर बाजार

सूरत स्टॉक ब्रोकिंग धोखाधड़ी के सबक: गैर-पंजीकृत बिचौलियों से रहें दूर

शेयरों की खरीद-फरोख्त करने वाली एक फर्म ने 54 से अधिक ब्रोकरों और निवेशकों को करीब 4.84 करोड़ रुपये की चपत लगाई

Published by
हिमाली पटेल   
Last Updated- August 31, 2025 | 10:55 PM IST

सूरत में एक बड़ा वित्तीय धोखाधड़ी का मामला सामने आया है जिसकी फिलहाल जांच चल रही है। आरोप है कि शेयरों की खरीद-फरोख्त करने वाली एक फर्म ने 54 से अधिक ब्रोकरों और निवेशकों को करीब 4.84 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया। खबरों के अनुसार, आरोपी ग्रीन वॉल एंटरप्राइज के मालिक हैं जो कथित तौर पर जैनम ब्रोकिंग की ओर से काम करते थे।

फर्म ने ग्राहकों को हाई लीवरेज का वादा किया था, जिसमें उन्हें केवल 5 लाख रुपये जमा करके 50 लाख रुपये तक का ट्रेड करने की अनुमति देने की बात कही गई थी। मगर बीते 14 अगस्त को निवेशकों ने पाया कि उनके ट्रेडिंग खाते लॉक हो गए हैं और उनमें मौजूद रकम भी गायब हो चुकी है। इस मामले से पता चलता है कि निवेशकों को ब्रोकरों का चयन करते समय बेहद सतर्क रहने और उनके साथ काम करते समय खतरे के संकेतों के प्रति सचेत रहना चाहिए। सतर्कता और कुछ बुनियादी सावधानी बरतने से ऐसे घोटालों के जोखिम को कम किया जा सकता है।

स्टॉकब्रोकर का चुनाव

ऑनबोर्डिंग से पहले पुष्टि करें कि ब्रोकर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ पंजीकृत है या नहीं। मोतीलाल ओसवाल वेल्थ मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अजय मेनन ने कहा, ‘केवल सेबी के साथ पंजीकृत और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों के साथ ही काम करें।’ सेबी की वेबसाइट पर ब्रोकर का पंजीकरण संख्या और एक्सचेंज की वेबसाइट पर उसकी सदस्यता की जांच अवश्य करें।

सुनिश्चित करें कि स्वतंत्र ग्राहक खाते मौजूद हैं। ट्रेडजिनी के मुख्य परिचालन अधिकारी डी. त्रिवेश ने जोर देकर कहा कि फर्म को ग्राहकों को उनके ट्रेडिंग खाते तक सीधी पहुंच और उनकी रकम पर नियंत्रण प्रदान करना चाहिए। केवाईसी का अनुपालन अनिवार्य है। ट्रेडस्मार्ट के सीईओ विकास सिंघानिया ने कहा, ‘उचित केवाईसी, खाता अनुबंध और खुलासा दस्तावेजों पर जोर दें।’

इस मामले में ग्रीन वॉल एंटरप्राइज जैसे बिचौलियों से बचें। सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार और सहजमनी डॉट कॉम के संस्थापक अभिषेक कुमार ने कहा, ‘निवेशकों को उन अपारदर्शी संस्थाओं से सावधान रहना चाहिए जो ग्राहक के पैसे का प्रबंधन और खातों को नियंत्रित करते समय ब्रोकर की ओर से कार्य करने का दावा करते हैं।’ कुमार ने कहा कि ऐसे बिचौलियों के साथ काम करना काफी जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि वे ट्रेडिंग को ब्लॉक कर सकते हैं और जमा रकम लेकर फरार हो सकते हैं।

ऐसे ब्रोकरों से दूर रहें जो गारंटी के साथ रिटर्न देने का वादा करते हैं अथवा असाधारण लीवरेज प्रदान करते हैं। त्रिवेश ने कहा, ‘कई निवेशक 5 लाख रुपये की जमा के साथ 50 लाख रुपये तक का ट्रेड करने जैसे वादों से आकर्षित होते हैं। ऐसी योजनाओं के कारण खाते अक्सर फ्रीज हो जाते हैं या रकम गायब हो जाती है।’

बेहद कम ट्रेडिंग लागत जैसी पेशकश के झांसे में न आएं। ऐसी पेशकश को भलीभांति सत्यापित करें। केवल ब्रोकर की आधिकारिक वेबसाइट या सत्यापित स्रोतों से ही मोबाइल ऐप डाउनलोड करें। साथ ही यह भी जरूर देखें कि ईमेल एवं फोन नंबर का डोमेन ब्रोकर के आधिकारिक विवरण से मेल खाता हो। सिंघानिया ने कहा, ‘धोखाधड़ी करने वाले खुद को अधिकृत एजेंट या पार्टनर के रूप में पेश करने के लिए अक्सर प्रमुख ब्रोकरों के नाम का उपयोग कर सकते हैं।’ फीस का पूरा खुलासा, विवाद निवारण प्रक्रिया का विवरण और अनुपालन अधिकारी की साख की जांच अवश्य करें।

निवेश करते समय ध्यान रखें

हमेशा आधिकारिक खातों में ही रकम हस्तांतरित करें। अभिषेक कुमार ने कहा, ‘सुनिश्चित करें कि रकम केवल सेबी में पंजीकृत ब्रोकर के खाते में ही जाए न कि किसी मध्यस्थ के खाते में।’ अगर रकम जमा करने के लिए किसी तीसरे पक्ष के बैंक खाते का उपयोग किया जा रहा है तो वह खतरे का संकेत है। इसके अलावा अनौपचारिक ईमेल या व्हाट्सऐप नंबरों से आने वाले संदेशों के प्रति भी सतर्क रहें।

निवेशकों को नियमित रूप से ट्रेड कन्फर्मेशन, कॉन्ट्रैक्ट नोट्स और डिपॉजिटरी स्टेटमेंट प्राप्त होने चाहिए और उनका मिलान भी करना चाहिए। इन दस्तावेजों को प्रदान करने से इनकार करना ही चेतावनी का संकेत है। निवेशकों को अपने फंड पर सीधा नियंत्रण रखना चाहिए। ऑनबोर्डिंग या बाद की प्रक्रिया के दौरान पेश किए गए किसी भी शॉर्टकट को खतरे का संकेत माना जाना चाहिए।

अगर होती है धोखाधड़ी

अगर धोखाधड़ी हो गई है तो तत्काल कार्रवाई करना महत्त्वपूर्ण होता है। मेनन ने कहा, ‘निवेशकों को तुरंत सेबी के स्कोर्स प्लेटफॉर्म पर शिकायत दर्ज करनी चाहिए, स्टॉक एक्सचेंज को सूचित करना चाहिए और एफआईआर दर्ज करनी चाहिए।’

निवेशक पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। त्रिवेश ने कहा, ‘निवेशक आपराधिक विश्वासघात और साजिश के लिए एफआईआर दर्ज कराएं और संपत्ति को फ्रीज करने का अनुरोध करें।’

यदि धोखाधड़ी ऑनलाइन या ऐप के माध्यम से की गई है तो साइबर अपराध शाखा में शिकायत दर्ज कराएं। अपने केस को मजबूत करने के लिए बयान और निवेश के दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत करें। साथ ही निवेशकों को स्कोर प्लेटफॉर्म के जरिये सेबी और एनएसई एवं बीएसई के निवेशक शिकायत प्रकोष्ठों में भी संपर्क करना चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता तुषार कुमार ने कहा, ‘इस प्रकार की कार्रवाई धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार निषेध विनियमों के तहत नियामकीय उपायों की शुरुआत कर सकती है।’ उन्होंने कहा कि वसूली के लिए मुकदमा या सामूहिक कार्रवाई याचिकाओं के जरिये नागरिक उपचार का पीछा किया जा सकता है।

कुमार ने कहा, ‘निवेशक भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (बीएनएसएस) के तहत आरोपी की संपत्ति की अंतरिम कुर्की के लिए आवेदन कर सकते हैं।’ उनके अनुसार दोहरी रणनीति सबसे अच्छी रहेगी। उन्होंने कहा, ‘अपराधियों को दंडित करने के लिए फौजदारी मुकदमा और संपत्ति को दोबारा हासिल करने के लिए दीवानी नियामकीय कार्रवाई करनी चाहिए।’

First Published : August 31, 2025 | 10:55 PM IST