प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अनुकूल आधार के बावजूद अगस्त में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि सुस्त रही है। विनिर्माण क्षेत्र सुस्त रहने के कारण अगस्त में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की वृद्धि दर जुलाई के 4.3 प्रतिशत के संशोधित आंकड़े से घटकर 4 प्रतिशत रह गई।
अगस्त 2024 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में वृद्धि शून्य प्रतिशत थी। आंकड़ों से पता चलता है कि विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन पिछले महीने के 6 प्रतिशत से घटकर अगस्त में 3.8 प्रतिशत हो गया, जबकि बिजली क्षेत्र का उत्पादन 5 महीने के उच्च स्तर 4.1 प्रतिशत पर पहुंच गया। वहीं खनन उत्पादन 4 महीने के अंतराल के बाद धनात्मक (6 प्रतिशत) रहा है।
चालू वित्त वर्ष के पहले 5 महीनों (अप्रैल से अगस्त) के दौरान आईआईपी की वृद्धि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 4.3 प्रतिशत की तुलना में 2.8 प्रतिशत है।
अगर हम 2 अंकों के राष्ट्रीय औद्योगिक वर्गीकरण (एनआईसी) के स्तर पर देखते हैं तो विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती की वजह खाद्य उत्पादों, पेय पदार्थों, वस्त्रों, परिधान, चमड़े के उत्पादों, रसायनों, फार्मास्यूटिकल्स जैसे 23 विनिर्माण क्षेत्रों में से 13 के उत्पादन में आई गिरावट है।
अगर उपयोग पर आधारित वर्गीकरण के हिसाब से देखें तो प्राथमिक वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि अगस्त में 7 महीने के उच्च स्तर 5.2 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो खनन और बिजली उत्पादन में रुझानों को दर्शाती है। हालांकि अन्य सभी 5 उप-खंडों में जुलाई की तुलना में प्रदर्शन गिरा है।
गौरतलब है कि उपभोक्ता गैर टिकाऊ वस्तुओं में 8 महीनों में सबसे तेज संकुचन (-6.3 प्रतिशत) देखा गया, जबकि उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की वृद्धि आधी होकर 3.5 प्रतिशत हो गई। हालांकि बुनियादी ढांचा संबंधी वस्तुओं के उत्पादन में गिरावट आई, फिर भी लगातार दूसरे महीने दोहरे अंकों (10.6 प्रतिशत) की वृद्धि दर्ज की गई। इससे निर्माण गतिविधियों में वृद्धि बेहतर रहने के संकेत मिलते हैं।
इक्रा रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘जीएसटी को युक्तिसंगत बनाए जाने से पहले फंसे कर से बचने के लिए भंडारण प्रबंधन का असर हो सकता है। जीएसटी घटने से त्योहारों के दौरान खपत बढ़ने की उम्मीद है, जिससे सितंबर अक्टूबर में विनिर्माण उत्पादन बढ़ सकता है। इससे अमेरिकी शुल्क का प्रतिकूल असर कम हो सकता है।’
केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा का कहना है कि खपत के रुझान पर नजर बनाए रखने की जरूरत है और जीएसटी सुधारों से त्योहारी सीजन से पहले मांग के परिदृश्य में सुधार की उम्मीद है।