भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्व चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने जेन स्ट्रीट मामले से निपटने में नियामकीय विफलता के दावों को खारिज कर दिया है। फरवरी में पद छोड़ने वाली बुच ने इस बात पर जोर दिया कि सेबी ने अप्रैल 2024 में ही मामले की जांच शुरू कर दी थी। उन्होंने कहा कि नियामक ने कई कदम उठाए, जिनमें इंडेक्स में हेरफेर का पता लगाना, परिपत्र जारी करना और जेन स्ट्रीट को चेतावनी पत्र भेजना शामिल है। इस पत्र में उसे कुछ खास व्यापारिक पैटर्न बंद करने और उनसे दूर रहने का निर्देश दिया गया था।
बुच ने मंगलवार को एक बयान में कहा, उस दौरान सेबी ने मामले की व्यापक जांच के लिए अधिकारियों की एक टीम गठित की। इस गहन जांच से विस्तृत निष्कर्ष सामने आए जो आदेश का आधार बने।
सेबी के मौजूदा चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने हाल में जेन स्ट्रीट मामले को निगरानी का मसला बताया। उन्होंने कहा कि नियामक ऐसे कारोबारियों और डेरिवेटिव ट्रेड की निगरानी मजबूत करेगा।
बुच ने कहा, सेबी का आदेश अपने आप में बहुत कुछ कहता है। अप्रैल 2024 से सेबी जेन स्ट्रीट की ओर से अपनाई गई बेहद जटिल संरचनाओं और रणनीतियों की जांच में सक्रिय रूप से लगा हुआ था। हमने संबंधित डेटा को सत्यापित करने और उनके विश्लेषण पर भी काम किया।
3 जुलाई के आदेश में बाजार नियामक ने जेन स्ट्रीट को भारतीय बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया और हेराफेरी वाली रणनीतियों से कमाए 4,834 करोड़ रुपये के अवैध लाभ को जब्त करने का निर्देश दिया। अमेरिका की यह ट्रेडिंग फर्म अब सेबी के आदेश को चुनौती दे सकती है। पूर्व चेयरपर्सन ने कहा, इसके समानांतर सेबी ने अक्टूबर 2024 में नीतिगत स्तर पर विभिन्न हस्तक्षेप किए और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को फरवरी 2025 में जेन स्ट्रीट को निषेध पत्र जारी करने का निर्देश दिया था।