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उभरते व वैश्विक बाजारों से भारत का मूल्यांकन प्रीमियम सिकुड़ा

Published by
सुन्दर सेतुरामन
Last Updated- March 09, 2023 | 9:00 PM IST

उभरते और वैश्विक बाजारों के मुकाबले देसी इक्विटी का मूल्यांकन प्रीमियम (Domestic equities valuation premium) अक्टूबर के बाद से एक चौथाई सिकुड़ गया है। हालांकि भारतीय बाजार अभी भी ज्यादातर वैश्विक इक्विटीज के मुकाबले महंगे बने हुए हैं, जिसे विशेषज्ञों ने यह कहते हुए सही ठहराया है कि भारत की वृद्धि‍ का परिदृश्य बेहतर है।

अभी एमएससीआई इंडिया इंडेक्स (MSCI India index) का 12 महीने आगे का पीई गुणक ( price-to-earnings multiple ) 21.6 है। इसकी तुलना में MSCI EM और MSCI World सूचकांक क्रमश: 11.3 गुना व 16 गुना पर कारोबार कर रहे हैं।

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। अक्टूबर में भारत का पीई MSCI EM का 2.2 गुना था और MSCI World के मुकाबले 42 फीसदी ज्यादा।

तब से MSCI EM का पीई एकल अंक में फिसल गया है, जिसकी वजह चीन के बाजारों में हुई तीव्र बिकवाली है।

भारत के मूल्यांकन प्रीमियम में सिकुड़न पिछले कुछ महीनों में देसी बाजारों के कमजोर प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में हुई है और चीन व यूरोप जैसे बाजारों में सुधार हो रहा है।

चीन अभी भी 11 गुने से कम पीई पर कारोबार कर रहा है, जो भारत के मुकाबले आधा है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह अंतर और ज्यादा नहीं सिकुड़ेगा।

कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के हालिया नोट में कहा गया है, पिछले तीन से छह महीने में चीन ने भारत के मुकाबले काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। चीन के मुकाबले भारत का प्रीमियम अभी भी ज्यादा नजर आ रहा है लेकिन मूल्यांकन के एतिहासिक आंकड़ों में हम कुछ प्रासंगिकता देख रहे हैं क्योंकि भविष्य में चीन की रफ्तार भारत के मुकाबले कम रह सकती है। साथही चीन व अमेरिका के बीच जारी भूराजनीतिक तनाव चीन में लंबी अवधि के अमेरिकी निवेशकों के लिए जोखिम पैदा कर सकता है।

इस राय की अहमियत बढ़ रही है क्योंकि अक्सर बताया जाता है कि भारत व चीन के बीच भारी मूल्यांकन अंतर देसी इक्विटी के लिए मामला खराब कर सकता है।

ज्यादातर यूरोपीय बाजारों व मुख्य एशियाई बाजारों ने इस साल अपने पीई गुणक में इजाफा देखा है। दूसरी ओर भारत रेटिंग में थोड़ी कमी देखी है, जिसकी आंशिक अदाणी समूह के शेयरों की बिकवाली और तीसरी तिमाही की नरम आय है।

अल्फानीति के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा, अदाणी की दो कंपनियां निफ्टी का हिस्सा है और समूह की कंपनियों के शेयरों में उतारचढ़ाव ने भारत के कुल मूल्यांकन पर असर डाला है।

उन्होंने कहा, हालांकि हमारी अर्थव्यवस्था अन्य समकक्ष बाजारों के मुकाबले बेहतर कर रही है। हमारा निर्यात काफी ज्यादा नहीं है, ऐसे में हम वैश्विक अवरोधों से बचे हुए हैं (कुछ विशिष्ट क्षेत्रों को छोड़कर।

जब तक वृद्धि‍की रफ्तार और अच्छी कंपनियां रहेंगी, मूल्यांकन में प्रीमियम बना रहेगा। चूंकि अदाणी के शेयरों को कुछ सहारा मिला है, ऐसे में बाजारों में थोड़ी स्थिरता रहेगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि मूल्यांकन का अंतर मौजूदा स्तर पर बना रह सकता है और अल्पावधि की अनिश्चितताओं को देखते हुए यह पिछले साल के स्तर पर शायद ही पहुंचेगा।

इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी. चोकालिंगम ने कहा, अल्पावधि में मूल्यांकन प्रीमियम में शायद सुधार नहीं होगा। बाजारों की नजर दरों में बढ़ोतरी व मॉनसून पर होगी। साथ ही विदेशी निवेश में पलटाव अहम होगा। मूल्यांकन का अंतर काफी ज्यादा नहीं घटेगा, लेकिन यह बढ़ेगा भी नहीं।

क्रेडिट सुइस ने हालिया नोट में कहा है कि भारत का मूल्यांकन उच्च स्तर पर बना रह सकता है।

First Published : March 9, 2023 | 9:00 PM IST