वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में दो दरों के प्रावधान की खुशी बाजार में अधिक देर तक टिक नहीं सकी। तेल अन्वेषण सेवाओं पर सबसे अधिक जीएसटी लगने के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में बिकवाली से सेंसेक्स कारोबार के दौरान दर्ज बढ़त गंवा बैठा। बीएसई का सेंसेक्स कारोबार के दौरान लगभग 889 अंक (1.1 प्रतिशत) तक उछलने के बाद केवल 150 अंक (0.2 प्रतिशत) की बढ़त दर्ज कर 80,718 पर बंद हुआ। एनएसई का निफ्टी भी केवल 19 अंक (0.08 प्रतिशत) बढ़ कर 24,734 पर बंद हुआ। बाजार पूंजीकरण 1.5 लाख करोड़ रुपये फिसल कर 451 लाख करोड़ रुपये रह गया।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को दोपहिया वाहनों, उपभोक्ता वस्तुओं, एयर कंडीशनर और कैंसर की दवाओं सहित अन्य वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती की घोषणा की। इसके अलावा, जीएसटी परिषद ने अधिकांश वस्तुओं के लिए 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो-दर संरचना को मंजूरी दी, जो आमागी 22 सितंबर से प्रभावी हो जाएगी। हालांकि, ‘अत्यधिक महंगी’और ‘हानिकारक’ वस्तुओं जैसे सिगरेट, एक निश्चित इंजन क्षमता से अधिक कारों और कार्बोनेटेड पेय पदार्थों पर 40 प्रतिशत की दर लागू रहेगी।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने कहा, ‘पिछले 2-3 वर्षों में कमजोर उपभोग का जिम्मेदार आंशिक रूप से जिंसों की कीमत आधारित मूल्य सीएजीआर को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था। जीएसटी दर में कटौती से मुद्रास्फीति में कमी से यह दिक्कत दूर हो जाएगी। इसके अलावा जिंसों की कीमतों में कमी, अच्छी वर्षा, शहरी खपत के लिए अनुकूल आधार, व्यक्तिगत आयकर में कमी और नए वेतन आयोग के गठन से अगले 12-15 महीनों में एफएमसीजी खपत बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, जीएसटी में बदलाव से बाजार कारोबार की शुरुआत में उछला था बाद में उसका जज्बा कमजोर पड़ गया।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेस के वेल्थ मैनेजमेंट के रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘बाजार कंपनियों की सुस्त आय, अमेरिकी शुल्कों से जुड़ी चिंता और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) द्वारा बिकवाली के दबाव से जूझ रहा है। जीएसटी में कमी का प्रभाव तीसरी तिमाही की आय में दिखाई देगा।‘
निवेशकों की नजरें इस महीने अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति घोषणा के नतीजे और भविष्य में भारत पर लगे शुल्क हटाने की संभावनाओं पर टिकी रहेंगी।
रेलिगेयर ब्रोकिंग में वरिष्ठ उपाध्यक्ष (रिसर्च) अजीत मिश्रा ने कहा कि बाजार में व्यापक नजरिया कमजोर ही कहा जा सकता है। निकट भविष्य में मानक सूचकांक में गिरावट से इनकार नहीं किया जा सकता है। एफपीआई 106 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाली की जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2,233 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे।