चुनाव से पहले घबराहट और महंगे मूल्यांकन के कारण इस महीने इक्विटी बाजार उतार-चढ़ाव का सामना कर रहा है। विश्लेषकों ने निवेशकों को ऐसे समय में काफी सतर्कता बरतने की सलाह दी है। साथ ही यह भी कहा है कि जिनके पास मौजूदा स्तर पर शेयर खरीदने का जोखिम लेने की ताकत है, वे लंबी अवधि के लिहाज से खरीद करें। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी-50 में 1.5-1.5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। मिड और स्मॉलकैप में गिरावट और भी ज्यादा रही है और बीएसई पर दोनों सूचकांक क्रमश: 1.7 फीसदी और 2.9 फीसदी टूटे हैं।
अगले 30 दिन में बाजारों में संभावित घट-बढ़ का पैमाना द इंडिया वीआईएक्स (वोलेटलिटी इंडेक्स) मंगलवार को लगातार नौवें दिन बढ़ा और 17 पर पहुंच गया जो 30 जनवरी 2023 के बाद का सर्वोच्च स्तर है। यह मार्च 2020 में महामारी के प्रसार के बाद इस इंडेक्स में बढ़त की सबसे लंबी अवधि है। दिलचस्प यह है कि यह इंडेक्स 23 अप्रैल को 10.2 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था।
वैश्विक घटनाक्रम के बीच विश्लेषक भारतीय शेयर बाजारों में आई इस गिरावट की वजह निवेशकों में लोकसभा चुनाव से जुड़ी चिंता को बता रहे हैं। मार्च 2024 की तिमाही में देश में कंपनियों की आय ने सकारात्मक रूप से नहीं चौंकाया है।
एवेंडस कैपिटल पब्लिक मार्केट्स ऑल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्यू हॉलैंड के मुताबिक कंपनियों की आय संतोषजनक रही है और बैंकों ने सकारात्मक रुख से चौंकाया है। उपभोक्ता कंपनियों ने भी बेहतर किया है। इन दोनों क्षेत्रों को छोड़कर देश में किसी और क्षेत्र के बारे में लिखने को कुछ नहीं है। हालांकि कोई डाउनग्रेडिंग नहीं हुई है लेकिन बहुत ज्यादा अपग्रेडिंग का मामला भी नहीं है।
राजनीतिक मोर्चे पर मतदान का प्रतिशत बहुत अच्छा नहीं रहा है, जिससे बाजार चिंतित है। 400 से ज्यादा सीटें जीतने के नरेंद्र मोदी की अगुआई वाले राजग का भरोसा भी थोड़ा हिल गया है।
लोकसभा चुनाव से संबंधित घबराहट के कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मई में अब तक 9,194 करोड़ रुपये की बिकवाली की है जबकि देसी संस्थागत निवेशकों ने इस दौरान 5,129 करोड़ रुपये की खरीदारी की। एक और चिंता भारतीय बाजारों का महंगा मूल्यांकन है और निफ्टी का 12 महीने का रोलिंग पीई ऐतिहासिक स्तर और बॉन्ड प्रतिफल के सापेक्ष 21 गुना है।