पारंपरिक तौर पर रक्षात्मक माने जाने वाले सेक्टर- फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG), आईटी सेवा और फार्मास्युटिकल्स- कैलेंडर वर्ष 2025 में दलाल पथ पर अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप प्रदर्शन करने में विफल रहे हैं।
तुलनात्मक रूप से मंदी या सुस्ती से अछूते समझे जाने वाले इन क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों से उम्मीद की गई थी कि वे बाजार में उतार-चढ़ाव और आर्थिक अनिश्चितता के दौरान इक्विटी निवेशकों को स्थिरता और पूंजी की सुरक्षा प्रदान करेंगी। इसके बजाय, ये तीन ‘रक्षात्मक’ सेक्टर पिछले 12 महीनों में इक्विटी निवेशकों के लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब बन गए हैं। पिछले साल इनका प्रदर्शन प्रमुख सूचकांकों की तुलना में बेहद खराब रहा।
दूसरी तरफ, बैंकिंग, धातु एवं खनन तथा ऑटोमोटिव जैसे गैर-रक्षात्मक या चक्रीय क्षेत्रों के कारण बेंचमार्क सूचकांकों में सुधार हुआ है जो इस साल फरवरी में निचले स्तर पर चले गए थे। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस और विप्रो जैसी आईटी सेवा कंपनियां सबसे ज्यादा पिछड़ी हैं। इसके बाद हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी और एशियन पेंट्स जैसी उपभोक्ता वस्तु कंपनियों का स्थान है।
उदाहरण के लिए निफ्टी आईटी इंडेक्स, शीर्ष आईटी सेवा निर्यातक कंपनियों के बाजार पूंजीकरण को ट्रैक करता है। यह सूचकांक अक्टूबर के अंत से 12.7 प्रतिशत नीचे है जबकि निफ्टी-50 सूचकांक में 5.8 प्रतिशत की तेजी आई है। इसी अवधि में निफ्टी एफएमसीजी सूचकांक 5.7 प्रतिशत कमजोर हुआ है। देश की शीर्ष दवा कंपनियों जैसे सन फार्मास्युटिकल्स, सिप्ला और डॉ रेड्डीज लैब ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन फिर भी ये नीचे हैं। निफ्टी फार्मा सूचकांक पिछले साल अक्टूबर के अंत से 1.8 प्रतिशत नीचे है।
अच्छी बात यह है कि डिफेंसिव सेक्टर में गिरावट के कारण उनके इक्विटी मूल्यांकन में नरमी आई है और कई कंपनियों के मामले में यह गिरावट काफी तेज रही है। उदाहरण के लिए, आईटी कंपनियों का पी/ई मल्टीपल अब औसतन 31.2 गुना सालाना से घटकर 24.7 गुना रह गया है जबकि उनका प्राइस टू बुक (पी/बी रेशियो) वैल्यू रेशियो 9.5 से घटकर 7.3 रह गया है।
यहां दस रक्षात्मक शेयर शामिल किए गए हैं, जिनमें पिछले एक वर्ष में उनके मूल्यांकन में बदलाव तथा पिछली चार तिमाहियों में उनकी आय वृद्धि को देखते हुए मौजूदा स्तर से तेजी की संभावना है।