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Dollar vs Rupee: ₹90 तक फिसल सकता है रुपया, महंगाई और FIIs निवेश पर दिखेगा असर; जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

Dollar vs Rupee: अगर अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता में कोई सकारात्मक प्रगति नहीं होती है, तो रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर 87.95 से भी नीचे जा सकता है।

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जतिन भूटानी   
Last Updated- July 31, 2025 | 4:51 PM IST

Dollar vs Rupee: अमेरिका के भारत पर 25% टैरिफ लगाने के बीच रुपये में गुरुवार (31 जुलाई) को लगभग तीन साल में अपनी सबसे बड़ी मंथली गिरावट दर्ज की गई। ट्रंप टैरिफ को लेकर चिंता और विदेशी निवेशकों की लगातार से रुपये पर दबाव देखने को मिला। डॉलर के मुकाबले रुपया गुरुवार को 0.2% गिरकर 87.59 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान रुपया 87.74 के स्तर तक फिसल गया था। इसी के साथ जुलाई महीने में रुपये में करीब 2 फीसदी की गिरावट आई हैं। यह सितंबर 2022 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, बुधवार और गुरुवार को भारतीय रिज़र्व बैंक ने रुपये को समर्थन देने के लिए हस्तक्षेप किया। लेकिन यह हस्तक्षेप बहुत आक्रामक नहीं था। अगर अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता में कोई सकारात्मक प्रगति नहीं होती है, तो रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर 87.95 से भी नीचे जा सकता है। विदेशी निवेशकों ने भी दबाव बढ़ाया। जुलाई में उन्होंने भारतीय शेयर बाजार से 2 अरब डॉलर की निकासी की है।

Dollar Vs Rupee: ₹90 तक गिर जाएगा रुपया?

वीटी मार्केट्स में वैश्विक रणनीति प्रमुख रॉस मैक्सवेल ने कहा, ”हाल ही में डॉलर के मुकाबले रुपया दबाव में रहा है। इसकी बड़ी वजह ऊंचे तेल के दाम और वैश्विक अनिश्चितताएं हैं। डॉलर-रुपया ने हाल ही में 87.00 का स्तर तोड़ दिया है। यह स्तर अब निकट भविष्य में अहम सपोर्ट बन गया है। वहीं, रुपये के लिए अगला प्रतिरोध 88.00–88.20 के आसपास है।

उन्होंने कहा कि अगर रुपया 88.20 से ऊपर कमजोर होता है, तो 90 का मनोवैज्ञानिक स्तर चर्चा में आ सकता है। लेकिन 90 के पार जाना एक बेहद खराब स्थिति में ही संभव होगा। इसमें कच्चे तेल के दामों में भारी उछाल, पूंजी का तेज़ी से बाहर जाना और फेडरल रिज़र्व की आक्रामक मौद्रिक सख्ती शामिल हो सकते हैं।

या वेल्थ (Ya Wealth) के डायरेक्टर अनुज गुप्ता का कहना है कि रुपये का अगला सपोर्ट लेवल 85 से 83 के आसपास है। लेकिन अमेरिका के टैरिफ लगाने की वजह से यह जल्द ही 89 से 90 का स्तर छू सकता है।

Dollar Vs Rupee: महंगाई बढ़ने की आशंका

रॉस मैक्सवेल के अनुसार, भारत अपनी ज़रूरत का करीब 85% कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में रुपये की गिरावट से तेल महंगा हो जाता है, जिससे लॉजिस्टिक्स, खाद्य और निर्माण लागत बढ़ती है। इससे महंगाई पर बड़ा असर पड़ता है। उन्होंने कहा, ”अगर रुपया लगातार कमजोर होता रहा, तो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पास ब्याज दरें घटाकर अर्थव्यवस्था को सहारा देने की गुंजाइश कम हो जाएगी।”

अनुज गुप्ता ने कहा, ”रुपये में गिरावट निर्यात के लिए फायदेमंद होती है। लेकिन आयात के लिए नुकसानदायक। इसका सबसे ज्यादा असर कच्चे तेल और खाने वाले तेल पर पड़ता है। आयात बिल बढ़ने से महंगाई पर नकारात्मक असर होता है।”

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Dollar Vs Rupee: रुपये में गिरावट का FIIs पर क्या पड़ेगा असर

रॉस मैक्सवेल ने कहा कि रुपये की गिरावट से डॉलर में निवेश पर रिटर्न भी घटता है। इससे विदेशी निवेशक सतर्क हो सकते हैं। हालांकि भारत की बुनियादी आर्थिक स्थिति मजबूत है, लेकिन अगर रुपया लंबे समय तक कमजोर रहा, तो निवेशकों की धारणा बदल सकती है और बाजार से पैसा बाहर जाने लगेगा।

जबकि अनुज गुप्ता ने इस सवाल के जवाब में कहा कि रुपये की कमजोरी की वजह से एफपीआई का फ्लो भी कम हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे देश की ग्रोथ थोड़ी प्रभावित हो सकती है। हालांकि, अच्छा मानसून, दालों और खाद्य तेल का अधिक उत्पादन महंगाई को संतुलित कर सकता है। इसलिए एफपीआई फ्लो पर बहुत बड़ा असर नहीं दिखेगा।

Dollar Vs Rupee: क्या आरबीआई मुद्रा को स्थिर करने के लिए हस्तक्षेप कर सकता है?

रॉस मैक्सवेल के अनुसार, अगर रुपया लगातार कमजोर होता रहा, तो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पास ब्याज दरें घटाकर अर्थव्यवस्था को सहारा देने की गुंजाइश कम हो जाएगी।

वहीं, अनुज गुप्ता ने कहा, ”हां, आरबीआई और भारत सरकार रुपये को स्थिर करने के लिए ज़रूर कदम उठाएंगे। साथ ही, एफपीआई के फ्लो बढ़ाने के लिए भी उपाय किए जाएंगे। भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर बातचीत भी चल रही है ताकि दरें रीजनेबल बन सकें।”

First Published : July 31, 2025 | 4:51 PM IST