जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड का मानना है कि BSE का सेंसेक्स मौजूदा चिंताओं और हालात का सामना कर जल्द ही 100,000 के आंकड़े पर पहुंच जाएगा। इसका मतलब है कि मौजूदा स्तरों से इस सूचकांक में करीब 62 प्रतिशत तेजी आ सकती है। वुड का मानना है कि भारत दुनियाभर के बाजारों में मजबूत बुनियादी आधार और सफलता वाला देश बना हुआ है।
निवेशकों को भेजे अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट ‘ग्रीड ऐंड फियर’ में वुड ने लिखा है, ‘ढांचागत हालात मजबूत बने हुए हैं, इसलिए ‘ग्रीड ऐंड फियर’ का मानना है कि सेंसेक्स 100,000 के स्तर पर पहुंच सकता है। पांच साल के नजरिये पर इस लक्ष्य से अब 15 प्रतिशत ईपीएस वृद्धि के रुझान का संकेत मिलता है और 19.8 गुना का पांच वर्षीय औसत एक वर्षीय पीई मल्टीपल बना हुआ है।’
शेयरों के संदर्भ में बात करें तो वुड ने अपने भारतीय पोर्टफोलियो में 4 प्रतिशत भारांक के साथ जोमैटो को शामिल किया है, जबकि एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस में निवेश घटाया है। आरईसी लिमिटेड में निवेश दो प्रतिशत तक बढ़ाया है।
उन्होंने कहा, ‘जोमैटो में निवेश वैश्विक लॉन्ग-ओनली इक्विटी पोर्टफोलियो में भी बढ़ाया जाएगा। इसके बदले जेडी डॉटकॉम और अलीबाबा में दो-दो प्रतिशत अंक तक निवेश कम किया जाएगा।’
इस बीच, कुछ अन्य बाजार विश्लेषक भी भारतीय बाजार पर उत्साहित बने हुए हैं और भविष्य में सेंसेक्स में शानदार तेजी की उम्मीद कर रहे हैं।
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27 मई, 2021 की रिपोर्ट में मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के चेयरमैन एवं सह-संस्थापक रामदेव अग्रवाल ने सुझाव दिया था कि बीएसई का सेंसेक्स अगले 10 साल में 200,000 पर पहुंच सकता है, जो मौजूदा स्तरों से करीब 224 प्रतिशत की तेजी है। जब अग्रवाल ने यह अनुमान जताया था, तब सेंसेक्स 51,500 के स्तरों के आसपास कारोबार कर रहा था।
वुड की तरह अग्रवाल को भी अगले 10 साल में कॉरपोरेट लाभ 15 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ने का अनुमान है, जो देश की जीडीपी के मुकाबले अधिक है। जीडीपी के लिए उन्होंने 12-13 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान जताया था।
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उन्होंने कहा कि भविष्य में बाजार प्रतिफल कॉरपोरेट लाभ में वृद्धि के अनुरूप रहेगा। इस बीच, बाजार पिछले 20 महीनों से सीमित दायरे में बना हुआ है और सेंसेक्स 5,000 अंक के दायरे ऊपर-नीचे घूम रहा है। वुड का मानना है कि आय वृद्धि से मूल्यांकन अनुरूप होगा।
वुड ने लिखा है कि हालांकि अगले 12 महीनों के दौरान बाजार से जुड़ी कुछ चिंताओं में यह भी शामिल होगा कि मोदी फिर से चुने जाएंगे या नहीं। उनके अनुसार, बाजारों के लिए अन्य संभावित जोखिम बाजार के सीमित दायरे में रहने पर छोटे निवेशकों की भागीदारी घटना है।