facebookmetapixel
FMCG Stock पर ब्रोकरेज का बुलिश रुख, कहा- नए लीडरशिप से ग्रोथ को मिलेगा बूस्ट, ₹307 का टारगेट प्राइसIPO Listing: जैन रिसोर्स की 14% प्रीमियम पर बाजार में दस्तक, ईपैक प्रीफैब और BMW वेंचर्स ने निवेशकों को किया निराशUS govt shutdown: कांग्रेस में फंडिंग पर सहमति न बनने पर 6 साल में पहली बार शटडाउन, सरकारी कामकाज ठपमैन्युफैक्चरिंग PMI सितंबर में 4 महीने के निचले स्तर पर, नए ऑर्डर्स की सुस्ती का दिखा असरअब इंटरनेशनल ट्रेड में भारतीय ‘रुपये’ का बढ़ेगा दबदबा! RBI उठाने जा रहा ये 3 कदमRBI MPC Decision: FY26 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान बढ़कर हुआ 6.8%, RBI गवर्नर ने कहा- आगे भी मजबूती की उम्मीदRBI MPC Decision: महंगाई के FY26 में 2.6% रहने का अनुमान, आम आदमी की जेब पर पड़ेगा सीधा असरसोने ने बनाया ₹1,17,800 का रिकॉर्ड, चांदी पहुंची ₹1,44,844 की नई ऊंचाई परRBI MPC Decision: फेस्टिव सीजन में सस्ते कर्ज की उम्मीदों को झटका, रीपो रेट 5.5% पर बरकरार; GDP अनुमान बढ़ायाShare market holiday: क्या 2 अक्टूबर को शेयर बाजार बंद रहेगा? चेक कर लें अक्टूबर में छुट्टियों की पूरी लिस्ट

अलग-अलग शुल्क वसूलने पर बीएसई पर उठे सवाल, बोले ब्रोकर– सेबी के ट्रू-टु-लेबल नियमों के खिलाफ

एक ब्रोकर ने कहा, सेबी के सर्कुलर का मकसद सबको बराबरी के अवसर उपलब्ध कराना था। लेकिन बीएसई के वर्गीकरण-आधारित शुल्क इस भावना के विरुद्ध हैं।

Last Updated- June 09, 2025 | 9:52 PM IST
SEBI

बीएसई के लेनदेन शुल्क पर बाजार के कई प्रतिभागियों ने चिंता जताई है। उनका आरोप है कि यह बाजार नियामक सेबी के ट्रू टु लेबल सर्कुलर के अनुसार नहीं है। उनका तर्क है कि बीएसई विभिन्न सेगमेंटों में शेयरों के लिए अलग-अलग शुल्क ले रहा है जो सेबी के समान शुल्क के नियमों के खिलाफ है।

पिछली जुलाई में सेबी ने सभी शेयर ब्रोकरों के लिए मानक लेनदेन शुल्क अनिवार्य किए थे जिससे वॉल्यूम आधारित मूल्य निर्धारण स्लैब खत्म हो गए। लेकिन ब्रोकरों का दावा है कि बीएसई ट्रेडिंग वॉल्यूम के आधार पर अलग-अलग शुल्क लगाना जारी रखे हुए है और शेयरों को एक्सक्लूसिव और नॉन-एक्सक्लूसिव ग्रुप में वर्गीकृत करता है।

ALSO READ: Mutual Fund: अब डेट फंडों की नजर पूंजी लाभ नहीं, ब्याज आय पर

एक ब्रोकर ने कहा, सेबी के सर्कुलर का मकसद सबको बराबरी के अवसर उपलब्ध कराना था। लेकिन बीएसई के वर्गीकरण-आधारित शुल्क इस भावना के विरुद्ध हैं। इसके लिए नियामक के हस्तक्षेप की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि बीएसई का शुल्क एनएसई की तुलना में अधिक है। लेकिन एनएसई अतिरिक्त निवेशक सुरक्षा निधि ट्रस्ट (आईपीएफटी) शुल्क लगाता है।

बाजार प्रतिभागियों के अनुसार बीएसई के ग्रुप ‘ए’ या ‘बी’ में ज्यादा वॉल्यूम वाले शेयरों पर 0.00375 फीसदी का कम शुल्क लगता है जबकि कम वॉल्यूम वाले समूहों पर 0.1 फीसदी तक का शुल्क लगता है। बीएसई ने सवालों के जवाब में कहा कि उसके शुल्क पारदर्शी हैं तथा सेबी के आदेश को पूरा करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके सदस्यों पर लगाया गया शुल्क सीधे अंतिम ग्राहक तक पहुंचे तथा इसमें कोई छिपी हुई छूट या रियायत नहीं दी जाती।

बीएसई प्रवक्ता ने कहा, जो शेयर ‘एक्स’ और ‘एक्सटी’ समूहों का हिस्सा हैं, वे विशेष रूप से बीएसई पर सूचीबद्ध हैं और आम तौर पर उनमें तरलता कम होती है। निवेशकों के हितों की रक्षा करने और निवेशकों को ऐसी प्रतिभूतियों में अत्यधिक व्यापार करने से रोकने के मकसद से 2016 से इस श्रेणी के शेयरों पर अलग-अलग शुल्क लगाए जा रहे हैं। इन समूहों का हिस्सा होने का मतलब गैर-अनुपालन नहीं है। ये शेयर नियामकीय निगरानी के भी अधीन हैं। इस बारे में सेबी को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिल सका।

First Published - June 9, 2025 | 9:45 PM IST

संबंधित पोस्ट