इंडियन वेंचर ऐंड अल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन (IVCA) ने आज जारी एक रिपोर्ट में कहा कि वैकल्पिक निवेश फंडों (एआईएफ) ने नियामकों से कैटैगरी-3 एआईएफ को निवेशकों के लिए कर समानता सुनिश्चित करने के संबंध में टैक्स-पास थ्रू की अनुमति देने का अनुरोध किया है।
कैटेगरी-3 फंडों में ऐसे एआईएफ शामिल हैं जो जटिल ट्रेडिंग रणनीतियां अपनानते हैं और सूचीबद्ध तथा गैर-सूचीबद्ध डेरिवेटिव्स, दोनों में निवेश कर सकते हैं। इनमें हेज फंड और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट इन पब्लिक इक्विटी डील्स (पीआईपीई) शामिल हैं।
दोहरे कराधान से बचने के लिए पास-थ्रू दर्जा दिया जाता है। एक इकाई आमतौर पर दो बार कर का भुगतान करती है – एक फर्म के शेयरधारकों द्वारा अर्जित आय के लिए और दूसरा कॉरपोरेट स्तर पर, जिसे कॉरपोरेशन टैक्स कहा जाता है। पास-थ्रू दर्जे के तहत, हासिल आय पर निवेशक पर कर लगाया जाता है और फंड को खुद उस पर कर नहीं देना पड़ता है।
एआईएफ की अन्य श्रेणियों का इस दर्जे का लाभ पहले से ही मिला हुआ है।
आईवीसीए की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह वैश्विक कार्य प्रणालियों के अनुरूप होगा, जिनमें मिश्रित फंड में ईईटी (निवेशक वितरण पर कर का भुगतान करते हैं) या ईटीई (निवेशक तब कर का भुगतान करते हैं जब फंड आय अर्जित करता है) व्यवस्था होती है, जिसमें निवेशक स्तर पर कर की गणना होती है।’
आईवीसीए ने दीर्घावधि अवधि वाले फंडों को भी पास-थ्रू दर्जा करने का सुझाव दिया है। एआईएफ उद्योग के अनुमान के अनुसार, कैटेगरी-3 एआईएफ की निवेश प्रतिबद्धताएं 2028 तक 2.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है क्योंकि प्रमुख कंपनियां अगले दो वर्षों में संयुक्त रूप से कम से कम 60,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रहह हैं। मार्च 2024 तक, कैटैगरी-3 एआईएफ के लिए प्रतिबद्धताएं 1.45 लाख करोड़ रुपये थीं।
इसके अलावा, उद्योग संगठन ने गिफ्ट-आईएफएससी में पंजीकृत फंड प्रबंधन संस्थाओं द्वारा शुरू किए गए रिटेल फंडों के लिए गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में निवेश के लिए 25 प्रतिशत की सीमा हटाने की भी मांग की है।