पिछली कुछ तिमाहियों में ऑर्डर मिलने में तेजी के बाद वैश्विक सलाहकार फर्म एक्सेंचर ने वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही के अपने नतीजों के दौरान ग्राहक खर्च में कमजोरी के संकेत दिए। विश्लेषकों का कहना है कि इससे आगे चलकर भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों के लिए चुनौती हो सकती है। वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में एक्सेंचर ने 17.7 अरब डॉलर का राजस्व दर्ज किया जो स्थिर मुद्रा (सीसी) में सालाना 7 प्रतिशत और अमेरिकी डॉलर में 7.7 प्रतिशत की वृद्धि है।
पीएल कैपिटल के प्रीतेश ठक्कर और सुजय चव्हाण ने कहा, ‘आउटसोर्सिंग कारोबार से राजस्व सालाना 9 प्रतिशत तक बढ़ा और इसने अपनी गति बरकरार रखी। लेकिन लगातार दो तिमाहियों में दो अंकों की वृद्धि दर्ज करने के बाद इसमें गिरावट आई। आउटसोर्सिंग डील बुकिंग में भी लगातार तीसरी तिमाही में गिरावट आई जिसमें तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 10 फीसदी की कमी शामिल है। ये दोनों कारक भारतीय आईटी सेवा कंपनियों की चिंता का सबब होंगे क्योंकि इनसे संकेत मिलता है कि प्रतिकूल वृहद परिवेश ने ग्राहकों के टेक खर्च के निर्णयों पर असर डालना शुरू कर दिया है।’
एक्सेंचर के तीसरी तिमाही के नतीजों से एक और बात यह निकली है कि कंपनी के जेनरेटिव आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (जेन-एआई) वर्टिकल के लिए डील बुकिंग में कमी आई है। कंपनी 40 प्रतिशत वैश्विक कर्मी एक्सेंचर के भारतीय कारोबार से जुड़े हुए हैं। विश्लेषकों के अनुसार एक्सेंचर की जेन-एआई बुकिंग और राजस्व वृद्धि में सुस्ती भारतीय आईटी के लिए थोड़ा नकारात्मक संकेत है क्योंकि सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और बीपीओ में जेनरेटिव एआई अपनाने से होने वाली परेशानियां 2-3 वर्षों साल के लिए नए उपयोग मामलों के राजस्व लाभ पर असर डाल सकती हैं।
एक्सेंचर का कहना है कि ग्राहक अभी अनिश्चितता से जूझ रहे हैं। इसलिए, जेन-एआई बुकिंग धीमी गति से ही सही, लेकिन लगातार बढ़ रही है। कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही की राजस्व वृद्धि सालाना आधार पर स्थिर मुद्रा में 1 से 5 फीसदी के दायरे में रहने की संभावना है और कंपनी ने अपना वित्त वर्ष 2025 का अनुमान 5-7 फीसदी से बढ़ाकर 6-7 फीसदी कर दिया है।
एचएसबीसी के विश्लेषकों के अनुसार भारतीय आईटी क्षेत्र वित्त वर्ष 2024-25 में सालाना 3-4 फीसदी की दर से बढ़ा। ऊंचे आधार पर, वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के विस्तार, मिड-टियर बाजार भागीदारी, जेन-एआई से जुड़ी अस्पष्टता और कमजोर/अनिश्चित वृहद हालात ने विकास में बाधा डाली है। उनका कहना है कि इससे वित्त वर्ष 2026 में भी वृद्धि पर असर पड़ सकता है।