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शेयर पुनर्खरीद और खुलासा मानकों में बदलाव पर जोर देगा SEBI

Published by
खुशबू तिवारी
Last Updated- December 19, 2022 | 8:03 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) 20 दिसंबर को होने वाली अपनी बोर्ड बैठक में पुनर्खरीद (Buyback) प्रक्रियाओं में बदलाव के प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान कर सकता है। इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इससे खुलासा मानकों में पारदर्शिता आएगी और बाजार इन्फ्रास्ट्रक्चर संस्थानों में प्रशासन में सुधार को बढ़ावा मिलेगा।

नए ढांचे में पुनर्खरीद पूरी होने में लगने वाले समय को घटाने, अपने मुक्त नकदी भंडार की तुलना में पुनर्खरीद से जुड़ी कंपनियों की राशि बढ़ाने तथा दो पुनर्खरीद के बीच की अवधि घटाने का प्रस्ताव शामिल है।

SEBI के प्रस्ताव में स्टॉक एक्सचेंजों के जरिये ओपन-मार्केट शेयर पुनर्खरीद को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने और चुकता पूंजी की 15 प्रतिशत की अधिकतम सीमा हटाने (1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी) जैसे कदम शामिल है। इसके लिए रूपरेखा तैयार की गई है जिसके जरिये पुनर्खरीद पेशकश पूरी करने के लिए समयावधि 6 महीने से घटाकर एक अप्रैल 2023 से 66 कामकाजी दिन की जाएगी और उसके बाद इसे फिर से घटाकर एक अप्रैल 2024 से 22 कामकाजी दिन किया जाएगा।

केकी मिस्त्री की अध्यक्षता में SEBI की उप-समिति ने शुरू में कहा था कि पुनर्खरीद के लिए निर्धारित राशि का 50 प्रतिशत इस्तेमाल करने की न्यूनतम सीमा भी बढ़ाकर 75 प्रतिशत की जा सकेगी।

समिति ने कहा, ‘इससे कंपनियों को ऐसे मामलों में पुनर्खरीद की घोषणा से रोकने में मदद मिलेगी, जिनमें घोषित पूरी राशि के लिए पुनर्खरीद पूरी करने का कोई वास्तविक इरादा नहीं है।’

समिति ने पुनर्खरीद पर कर बोझ कंपनी के बजाय शेयरधारकों पर डाले जाने का भी सुझाव दिया है, हालांकि इसका निर्णय सरकार द्वारा लिया जाएगा।

SEBI बोर्ड सख्त खुलासा मानकों का प्रस्ताव भी रख सकता है जिसमें शीर्ष 250 सूचीबद्ध कंपनियों को व्यापक प्रभाव का सामना करने स्थिति में किसी भी माध्यम से फैलने वाली अफवाहों की पुष्टि या खंडन करने की जरूरत होगी।

कानून विश्लेषकों का कहना है कि यह मानक चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि कई कंपनियां मुख्य तौर पर ऐसी गतिविधियों से जुड़ी होती हैं जो खुलासा मानकों से दूर हों। नए प्रस्तावित दायरे के तहत, यदि किसी घटनाक्रम का प्रभाव कंपनी के कारोबार में कम से कम 2 प्रतिशत, तीन वर्षीय औसत लाभ या नुकसान के 5 प्रतिशत के बराबर पड़ता है तो उसे प्रमुख एवं जरूरी खुलासे के तौर पर समझा जाएगा।

पूंजी बाजार नियामक कंपनियों को खुलासा करने के लिए मिलने वाले समय को 24 घंटे से घटाकर 12 घंटे करने का भी निर्णय ले सकता है।

First Published : December 19, 2022 | 7:52 PM IST