भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास आने वाली शिकायतों में जनवरी में बड़ी तेजी दर्ज की गई। नियामक को जनवरी में करीब 5,532 शिकायतें मिलीं, जो इससे पिछले महीने (दिसंबर) में मिली शिकायतों के मुकाबले 80 प्रतिशत ज्यादा थीं। यह आंकड़ा वर्ष 2023 के निचले स्तर से दोगुना से ज्यादा है।
सेबी को फरवरी 2023 में 2,321 शिकायतें मिली थीं, जो अक्टूबर 2021 के बाद सबसे कम थीं। निवेशकों ने अपनी शिकायतें सेबी शिकायत निवारण प्रणाली (स्कोर्स) पर दर्ज कराईं। शिकायतें नियामक के साथ पंजीकृत सूचीबद्ध कंपनियों के साथ साथ बिचौलियों के खिलाफ दायर कराई जा सकती हैं। पोर्टल के अनुसार इस प्रणाली पर सेबी ऐक्ट, सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेग्युलेशन ऐक्ट, डिपोजिटरीज ऐक्ट और कंपनीज ऐक्ट, 2013 के संबंधित प्रावधानों के तहत उत्पन्न मसलों से जुड़ी शिकायतें दर्ज होती हैं।
लंबित शिकायतों की कुल संख्या बढ़कर 5,371 हो गई है। यह तेजी नियामक द्वारा सक्रियता बढ़ाए जाने के बावजूद आई है। शिकायतों की संख्या महीने के शुरू में लंबित 3,780 के मुकाबले अधिक है। नई शिकायतों से लंबित शिकायतों की संख्या में इजाफा हुआ है। कार्रवाई योग्य लंबित शिकायतों की संख्या पिछले वित्त वर्ष में घटी थीं। सेबी की सालाना रिपोर्ट 2022-23 के अनुसार दरअसल वित्त वर्ष 2023 में 2,000 से थोड़ी अधिक शिकायतें लंबित थीं जो दशक में सबसे कम थी। इनमें ज्यादातर तीन महीने से कम के लिए लंबित रहीं।
वित्त वर्ष 2009 में लंबित शिकायतों की संख्या 49,000 से ज्यादा थी। वित्त वर्ष 2023 के दौरान इनमें से करीब आधी शिकायतें उत्तरी क्षेत्र के राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के साथ साथ अन्य से सेबी के मुख्य कार्यालय में प्राप्त हुई थीं। वित्त वर्ष 2023 में ज्यादातर शिकायतें स्टॉक ब्रोकरों के खिलाफ थीं। इसके बाद अन्य शिकायतें रिफंड, आवंटन, लाभांश, ट्रांसफर, बोनस, राइट्स, रिडम्पशन और ब्याज से संबंधित थीं।
लंबित शिकायतों की संख्या में वृद्धि इस तथ्य के बावजूद हुई है कि जनवरी में शिकायतों का औसत समाधान समय कम हुआ। जनवरी में किसी शिकायत के समाधान से जुड़ा औसत समय 35 दिन रहा। यह पिछले महीनों के दौरान लगने वाले समय की तुलना में बड़ी कमी थी।
नवंबर और दिसंबर 2023 में शिकायत निवारण में करीब 40 दिन लग रहे थे। औसत सालाना समाधान समय 2023 में 35 दिन था, जो 2022 में 28 दिन था। जनवरी में 16 शिकायतें 3 महीने से ज्यादा समय तक लंबित रहीं, जिनमें 6 उद्यम पूंजी फंडों के खिलाफ, चार निवेश सलाहकारों और एआईएफ के खिलाफ थीं। दो शिकायतें शोध विश्लेषकों के खिलाफ मिली थीं।