बाजार नियामक सेबी ने तलाशी व जब्ती अभियान का इस्तेमाल बढ़ाया है, जो उनकी शक्तियों में अपेक्षाकृत हाल में जुड़ा है। सेबी ने हाल में उसके अधिकारों में इजाफा होने के बाद जब्ती-तलाशी अभियान बढ़ा दिए हैं। अगस्त में जारी सालाना रिपोर्ट से मिले आंकड़ों के मुताबिक सेबी ने वित्त वर्ष 2023-24 में 83 स्थानों पर 106 अभियानों को अंजाम दिया।
इनमें महानगरों के इतर शहर भी हैं। सेबी की पुरानी सालाना रिपोर्टों में संग्रहित आंकड़ों के अनुसार यह वित्त वर्ष 23 के आंकड़ों के मुकाबले 100 फीसदी अधिक है। वित्त वर्ष 23 में नियामक ने 40 स्थानों पर 47 इकाइयों में तलाशी और जब्ती अभियान चलाया था।
ऐसे मामलों से जुड़ी टीमें इन स्थानों पर गोपनीयता के आधार पर पहुंचती है और सूचनाएं उन्हीं से साझा करती हैं जिन्हें इसे जानने की जरूरत होती है। सेबी के अधिकारी ने कहा कि यह टीम दूरदराज के इलाकों में भी जाती है। कभी-कभार उल्लंघन के ऐसे मामले भी होते हैं जो पूरी तरह से प्रतिभूति बाजार से नहीं जुड़े होते हैं। मसलन बड़ी मात्रा में बिना हिसाब वाली नकदी, जिसे आयकर अधिकारियों को सौंपना होता है।
सेबी के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि तलाशी और जब्ती के अधिकारों के रोकथाम वाले असर होते हैं। जिस इंटरमीडियरीज को पहले सिर्फ नोटिस का डर होता था, अब यह जानते हैं कि नियामक सख्त कार्रवाई भी कर सकता है। इस कारण कई लोग नियम पर चल सकते हैं।
भारत की प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज के संस्थापक और प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यन ने कहा कि नियामक के नजरिए से यह सुनिश्चित करने का मतलब होता है कि मजबूत तेजी के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी को शुरुआत में ही खत्म कर दिया जाए। इस कारण हो सकता है कि सेबी की तलाशी और जब्ती के अधिकारों पर अधिक निर्भरता हो।
उन्होंने कहा कि नई चेयरपर्सन शायद ज्यादा सक्रिय हैं… जाहिर तौर पर किसी भी तरह की गड़बड़ी को लेकर सेबी थोड़ा सावधान रहेगा। प्रतिभूति कानून (संशोधन) अधिनियम 2014 ने नियामक को तलाशी और जब्ती की शक्तियां दी हैं। उसे मुंबई की विशेष अदालत से अधिकार भी मिले हैं। इसे 17 जून, 2015 को अधिसूचित किया गया। हालिया बढ़ोतरी से पहले नियामक ने वित्त वर्ष 2022 में तीन तलाशी और जब्ती अभियान चलाए थे।
वित्त वर्ष 24 की सालाना रिपोर्ट में बताया गया है कि तलाशी और जब्ती अभियान में अन्य प्रवर्तन एजेंसियों के समान मानकों के लिए सेबी के अधिकारियों को नैशनल अकेडमी ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (आयकर विभाग) जैसी एजेंसियों से ट्रेनिंग मिली है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अभियान से शेयरों की कीमत और वॉल्यूम में जोड़तोड़ के सबूत मिले जो यू ट्यूब और व्हाट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल के जरिए किए गए थे। निवेशक इन शेयरों को फुलाए गए भावों पर खरीदकर फंस गए जबकि साजिश करने वाले इनसे बाहर निकल गए। नियामक ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल फ्रंट रनिंग की जांच में भी किया।
नियामक ने वित्त वर्ष 24 में बाजार में जोड़तोड़ और कीमत में हेरफेर के 160 मामले हाथ में लिए जबकि पिछले साल ऐसे मामलों की संख्या 54 थी। जांच के कुल मामले वित्त वर्ष 24 में बढ़कर 342 हो गए जो वित्त वर्ष23 में 144 थे। जिन मामलों की जांच पूरी हो गई उनकी संख्या वित्त वर्ष 24 में 197 रही जो वित्त वर्ष 23 में यह 152 थी। इस बारे में बुधवार को नियामक को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।