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म्युचुअल फंडों को डायरेक्ट प्लान के लिए अधिक खर्च वसूलने की अनुमति दे सकता है SEBI

विशेषज्ञों ने कहा कि महामारी के बाद डिजिटलीकरण की दिशा में कदम और फिनटेक प्लेटफार्मों के विकास ने डायरेक्ट योजनाओं के ग्रोथ में सहायता की है। 

Last Updated- August 23, 2023 | 3:10 PM IST
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बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) म्यूचुअल फंडों को डायरेक्ट योजनाओं के लिए अधिक खर्च वसूलने की अनुमति देने पर विचार-विमर्श कर रहा है।

ऐसी योजनाएं वितरकों को दरकिनार कर देती हैं और नियमित योजनाओं की तुलना में इनका खर्च अनुपात कम होता है। यह नियमित योजनाओं के वितरकों को भुगतान की जाने वाली ब्रोकरेज या कमीशन की सीमा तक है।

उदाहरण के तौर पर एक इक्विटी स्कीम अपने नियमित प्लान में 150 आधार अंक चार्ज कर रही है और वितरक कमीशन 50 बीपीएस तक काम करता है जबकि प्रस्तावित डायरेक्ट योजना 100 बीपीएस से अधिक चार्ज नहीं कर सकती है।

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, बाजार नियामक यानी सेबी योजनाओं के बीच खर्चों के अंतर को घटाकर वितरक कमीशन के 70 प्रतिशत, 80 प्रतिशत या 90 प्रतिशत तक करने पर विचार कर सकता है। अगर ऐसा रहता है और यदि कटौती की अनुमति 70 प्रतिशत है तो यह योजना डायरेक्ट योजनाओं के लिए 115 बीपीएस तक शुल्क ले सकती है।

निवेशकों के लिए हानिकारक हो सकता है यह कदम

यह कदम निवेशकों के लिए हानिकारक हो सकता है क्योंकि अधिक खर्च योजना के रिटर्न को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, छूट से फंड हाउसों को मार्केटिंग, बिक्री और ईंट-और-मोर्टार उपस्थिति के जरिये डायरेक्ट योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक अतिरिक्त लागत वहन करने में मदद मिलेगी।

सेबी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, 10 साल की अवधि में 66 फीसदी डायरेक्ट फंडों ने अपने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया, जबकि 39 फीसदी नियमित फंड ऐसा करने में कामयाब रहे। वहीं, पांच साल की अवधि में 45 प्रतिशत डायरेक्ट फंडों ने 26 प्रतिशत नियमित फंडों की तुलना में अपने बेंचमार्क को पीछे छोड़ दिया।

विशेषज्ञों ने कहा कि महामारी के बाद डिजिटलीकरण की दिशा में कदम और फिनटेक प्लेटफार्मों के विकास ने प्रत्यक्ष योजनाओं के ग्रोथ में सहायता की है।

First Published - August 23, 2023 | 9:59 AM IST

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