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SEBI बोर्ड मीटिंग में बड़े फैसले संभव: म्यूचुअल फंड फीस से लेकर IPO नियमों तक में हो सकते हैं बदलाव

सूत्रों के मुताबिक, बोर्ड सबसे पहले स्टॉक ब्रोकरों के नियमों पर ध्यान देगा। ये नियम करीब तीन दशक पुराने हैं। इन्हें कंपनियों एक्ट 2013 के साथ जोड़ा जाएगा

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- December 16, 2025 | 8:05 PM IST

भारतीय शेयर बाजार नियामक SEBI की बोर्ड मीटिंग बुधवार को होने वाली है। इसमें कई महत्वपूर्ण नियमों में बदलाव पर विचार किया जाएगा। इनमें म्यूचुअल फंड की फीस स्ट्रक्चर में बदलाव, स्टॉक ब्रोकरों के पुराने नियमों को अपडेट करना, IPO से जुड़ी कंपनियों में शेयर गिरवी रखने के नए नियम और ऑफर डॉक्यूमेंट को आसान बनाने जैसे मुद्दे शामिल हैं।

सूत्रों के मुताबिक, बोर्ड सबसे पहले स्टॉक ब्रोकरों के नियमों पर ध्यान देगा। ये नियम करीब तीन दशक पुराने हैं। इन्हें कंपनियों एक्ट 2013 के साथ जोड़ा जाएगा ताकि ब्रोकरों के लिए नियम पालन आसान हो। सबसे खास बात यह है कि पहली बार एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग, खुद की ट्रेडिंग और सिर्फ एक्जीक्यूशन करने वाले प्लेटफॉर्म की साफ परिभाषा दी जाएगी। इससे बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी और ब्रोकरों को नए तरीकों से काम करने में मदद मिलेगी।

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म्यूचुअल फंड की फीस में कटौती का प्रस्ताव

म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए बड़ी खबर है। SEBI बोर्ड टोटल एक्सपेंस रेशियो यानी TER में बदलाव पर विचार करेगा। TER वो फीस है जो फंड हाउस निवेशकों से लेते हैं। अक्टूबर में SEBI ने नया प्रस्ताव रखा था, क्योंकि 2023 का प्लान इंडस्ट्री से मिली अलग-अलग राय के कारण आगे नहीं बढ़ सका।

इस नए प्लान में कैश मार्केट ट्रेड्स के लिए ब्रोकरेज और ट्रांजेक्शन कॉस्ट को 12 बेसिस पॉइंट से घटाकर सिर्फ 2 बेसिस पॉइंट करने की बात है। वहीं डेरिवेटिव्स ट्रांजेक्शंस के लिए 5 बेसिस पॉइंट से 1 बेसिस पॉइंट। साथ ही म्यूचुअल फंड स्कीम्स की TER की ऊपरी सीमा को 15-20 बेसिस पॉइंट कम करने का विचार है। कई फंड हाउस और ब्रोकरों ने इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे उनका कामकाज मुश्किल हो जाएगा और कमाई पर असर पड़ेगा।

IPO प्रक्रिया को और आसान बनाने के लिए SEBI ICDR नियमों में बदलाव ला सकता है। खासकर प्रमोटर्स के अलावा अन्य लोगों के गिरवी रखे शेयरों की लॉक-इन अवधि पर नई व्यवस्था होगी। डिपॉजिटरी को कहा जा सकता है कि वे अपने सिस्टम बदलें ताकि ऐसे शेयरों को ठीक से लॉक-इन किया जा सके। इससे IPO में आने वाली दिक्कतें कम होंगी।

निवेशकों की सुविधा के लिए ऑफर डॉक्यूमेंट को सरल बनाया जाएगा। ऑफर डॉक्यूमेंट का समरी हिस्सा बेहतर किया जाएगा और एब्रिज्ड प्रॉस्पेक्टस की अनिवार्यता खत्म की जा सकती है। इससे निवेशकों को IPO की जानकारी आसानी से समझ आएगी।

इसके अलावा बोर्ड एक हाई-लेवल कमिटी की सिफारिशों पर भी विचार करेगा। यह कमिटी मार्च में बनी थी और नवंबर में रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के चेयरमैन पूर्व चीफ विजिलेंस कमिश्नर प्रत्युष सिन्हा थे। इसमें एसेट्स, लायबिलिटीज, ट्रेडिंग एक्टिविटी और रिश्तों की ज्यादा जानकारी देने की बात है। यह सब नियुक्ति के समय और हर साल रिव्यू में बताना होगा।

सूत्रों का कहना है कि SEBI बोर्ड डेट मार्केट को बढ़ावा देने और पुराने फिजिकल शेयरों को डीमैट में बदलने की प्रक्रिया को आसान बनाने पर भी विचार कर सकता है। फिलहाल डेट इश्यू में चुनिंदा निवेशकों को ज्यादा कूपन रेट या डिस्काउंट देने की अनुमति नहीं है, लेकिन SEBI ने पहले ऐसा करने का प्रस्ताव दिया था।

SEBI से जब इसको लेकर ईमेल के माध्यम से जानकारी मांगी गई तो उसकी ओर से कोई उत्तर नहीं मिला।

First Published : December 16, 2025 | 8:05 PM IST