बाजार

कर्नाटक चुनाव के रिजल्ट का बाजार पर दिख सकता है असर

Published by
पुनीत वाधवा
Last Updated- May 09, 2023 | 7:38 PM IST

विश्लेषकों का मानना है कि कर्नाटक चुनाव का परिणाम बाजार प्रतिक्रिया में बड़ा योगदान दे सकता है। हालांकि वे इसके लिए मॉनसून की रफ्तार, घटती ग्रामीण मांग और मार्च तिमाही के नतीजों जैसे अन्य कारकों पर भी नजर लगाए हुए हैं।

वै​श्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों का ब्याज दर को लेकर रुख, कच्चे तेल की कीमतों और डॉलर सूचकांक में उतार-चढ़ाव तथा भूराजनीतिक हालात कुछ ऐसे कारक हैं जिन पर नजर रखे जाने की जरूरत होगी।

विश्लेषकों का मानना है कि यह जरूरी नहीं है कि राज्य चुनाव का परिणाम राष्ट्रीय चुनावों के नतीजों का निर्धारण कर सकता है। पिछले समय के दौरान, नागरिकों ने राज्य और राष्ट्रीय चुनावों के लिए मतदान को लेकर अलग अलग रुख अपनाया था।

हालांकि बाजार कर्नाटक में आगामी चुनाव का विश्लेषण करेंगे, जिससे अगले एक साल के दौरान अनि​श्चितता का परिवेश बना रह सकता है, क्योंकि पूरे देश में भी आम चुनाव की तैयारियां शुरू हो जाएंगी।

कैलेंडर वर्ष 2023 में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, जिनमें कर्नाटक (मई में), मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ (नवंबर में) और राजस्थान (दिसंबर) शामिल हैं।

Also read: Go First पर एक और संकट, बैंक अभी नहीं देंगे Go First को अतिरिक्त फंडिंग

बाजार यह पसंद करेंगे कि भाजपा अपने शासन वाले प्रमुख राज्यों में बनी रहे। हालांकि स्वतंत्र विश्लेषक अंबरीष बालिगा कर्नाटक में भाजपा के नहीं जीतने पर भी लंबे समय तक बाजार पर नकारात्मक प्रभाव की आशंका से इनकार कर रहे हैं।

बालिगा का कहना है, ‘यदि भाजपा कर्नाटक में सरकार बनाने में सक्षम रहती है तो बाजार में उत्साह दिखेगा। यदि ऐसा हुआ तो ए​क्जिट पोल के बाद से ही बाजारों में तेजी आ सकती है। जब चुनाव परिणाम की घोषणा हो जाएगी तो बाजार धारणा मजबूत होगी। दूसरी तरफ, यदि भाजपा को सफलता नहीं मिलती है तो बाजारों में अस्थायी गिरावट देखी जा सकती है और यह उम्मीद रहेगी कि आम चुनावों में मतदाताओं का रुख अलग रहेगा।’

Also read: REITs और InvIT में बढ़ रहा म्युचुअल फंडों का निवेश

बालिगा का मानना है कि बाजारों पर कॉरपोरेट आय, मॉनसून की चाल और कच्चे तेल की कीमतों का असर पड़ेगा। इ​क्विनोमिक्स रिसर्च ऐंड एडवायजरी के संस्थापक एवं शोध प्रमुख जी चोकालिंगम ने भी यह सुझाव दिया है कि विधानसभा चुनाव का परिणाम अल्पाव​धि में बाजारों की धारणा पर मामूली प्रभाव डालेगा।

हालांकि 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले बाजार पर बहुत ज्यादा असर पड़ने की संभावना नहीं है। चोकालिंगम का कहना है, ‘कर्नाटक का संपूर्ण लोकसभा सीटों में सिर्फ करीब 5 प्रतिशत (28 सीटों) का ही योगदान है। भले ही भाजपा कर्नाटक में हार जाए, लेकिन वह राज्य में 40-50 प्रतिशत दबदबा बरकरार रखेगी। बाजार यह मानेगा कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मतदाताओं का लक्ष्य काफी अलग अलग रहेगा।’

First Published : May 9, 2023 | 7:38 PM IST