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आरबीआई की नीति से रुपये पर पड़ी चोट

Last Updated- December 12, 2022 | 6:11 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति से अनायास परिणाम मिलने की संभावना से बुधवार को रुपया 1.52 फीसदी टूट गया जब केंद्रीय बैंक ने पहली तिमाही में द्वितीयक बाजार से 1 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदने की प्रतिबद्धता जताई और इसके बाद और भी खरीद हो सकती है।
डॉलर के मुकाबले रुपया 74.56 पर बंद हुआ, जो 13 नवंबर, 2020 के बाद के निचला स्तर है। कारोबारी सत्र में यह गिरावट अगस्त 2019 के स्तर तक पहुंच गई थी।
करेंसी ट्रेडर भी इस गिरावट से आश्चर्यचकित हुए। फस्र्ट रैंड बैंक के फॉरेक्स प्रमुख परेश नायर के मुताबिक, डॉलर की मांग मंगलवार से लगातार बनी हुई थी, शायद आयातकों की तरफ से। लेकिन इस पर दबाव बुधवार को बढ़ा।
इससे शायद कुछ स्टॉपलॉस पोजीशन बनी होगी, जिससे ऑफशोर व ऑनशोर बाजार में बिकवाली देखने को मिली। रुपये में भारी गिरावट को देखते हुए विदेशी निवेशकों (जो अपने निवेश पर हेजिंग नहीं करते) को अपनी पोजीशन की बिकवाली करनी पड़ी, जिससे स्थिति और विकट हो गई।
अन्य राय यह है कि यहां काफी ज्यादा कैरी ट्रेड की बिकवाली हुई। कैरी ट्रेड तब बनते हैं जब निवेशक सस्ते स्रोत से उधार लेता है। जैसे अमेरिका में दरें कम है और वह ऐसे देश जैसे भारत में निवेश करता है जहां प्रतिफल ज्यादा है। अगर दोनों प्रतिफल में अंतर बढ़ता है तो और ज्यादा रकम आएगी और अगर यह अंतर यानी स्प्रेड घटता है तो यहां से रकम बाहर निकलकर अन्य गंतव्य या अपने स्रोत की ओर चली जाएगी।
प्रतिफल का अंतर वैश्विक निवेशकों को उभरते बाजारों की मुद्राओं में होने वाले संभावित ह्रास से राहत देता है। इसके साथही मुद्रा का जोखिम विकसित व उभरते बाजारों में महंगाई के अंतर पर निर्भर करता है। स्प्रेड में सख्ती निवेशकों के लिए कम जोखिम प्रीमियम लाता है, जो भारत में खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी के हालिया रुख के उलट है। पिछले छह महीने में भारत में बॉन्ड प्रतिफल अमेरिका के मुकाबले धीमी रफ्तार से बढ़ी है। भारत में 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल पिछले साल अगस्त के रिकॉर्ड निचले स्तर से महज 32 आधार अंक चढ़ा है। इसकी तुलना में 10 वर्षीय अमेरिकी सरकार के बॉन्ड का प्रतिफल अपने रिकॉर्ड निचले स्तर से 113 आधार अंक चढ़ा है।

अनुकूल रुख से चढ़ा बाजार
आरबीआई द्वारा लंबे समय तक अनुकूल रुख बनाए रखने की प्रतिबद्घता के बाद घरेलू बाजारों में करीब एक प्रतिशत की तेजी आई। आरबीआई का मुख्य जोर कोरोनावायरस संक्रमण की नई लहर के बीच वृद्घि को मदद प्रदान करना है। बीएसई का सेंसेक्स 460 अंक, या 0.94 प्रतिशत चढ़कर 49,662 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी-50 सूचकांक में 136 अंक या 0.92 प्रतिशत चढ़कर 14,819 पर बंद हुआ। बैंकिंग शेयरों से बैंक निफ्टी सूचकांक को मदद मिली और इसमें 1.5 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। अन्य दर-संवेदी क्षेत्रों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया और निफ्टी ऑटो सूचकांक में 1.6 प्रतिशत और निफ्टी रियल्टी सूचकांक 0.96 की बढ़त दर्ज की गई। बीएस और एजेंसियां

First Published - April 7, 2021 | 11:45 PM IST

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