भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने शुक्रवार को रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है। अब रेपो रेट 5.25 प्रतिशत हो गया है। RBI ने अपनी नीति का रुख ‘न्यूट्रल’ ही रखा है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि दुनिया भर में हालात चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती दिखा रही है और आगे भी तेज वृद्धि की उम्मीद है।
कैलेंडर वर्ष 2025 में यह चौथी बार है जब RBI ने रेपो रेट में कटौती की है। फरवरी में पहली 25 bps कटौती हुई, इसके बाद अप्रैल में फिर 25 bps कम किया गया। जून की नीति में RBI ने 50 bps की बड़ी कटौती की थी। अब जुलाई में 25 bps की और कटौती की गई है। इस तरह साल की शुरुआत में 6.5% रहे रेपो रेट को अब तक 1.25 प्रतिशत कम किया जा चुका है।
| शेयर का नाम | % बढ़त |
|---|---|
| आरबीएल बैंक लिमिटेड | 76.1 |
| एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड | 60.2 |
| केनरा बैंक | 56.7 |
| साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड | 55.6 |
| सिटी यूनियन बैंक लिमिटेड | 54.8 |
रेपो रेट कटौती शुरू होने के बाद से बैंकिंग सेक्टर के शेयरों में बड़ी तेजी देखने को मिली है। बाजार के आंकड़ों के अनुसार, कुछ बैंक शेयरों में 55 से 76 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। RBL बैंक, AU स्मॉल फाइनेंस बैंक, केनरा बैंक, साउथ इंडियन बैंक और सिटी यूनियन बैंक जैसे शेयरों में तेज उछाल दर्ज हुआ। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वी.के. विजयकुमार ने बताया कि ये बढ़त सिर्फ RBI की नीतियों की वजह से नहीं, बल्कि हर बैंक से जुड़े पॉजिटिव कारणों के चलते भी आई है। उदाहरण के लिए, साउथ इंडियन बैंक के एनपीए में सुधार दिखा है और RBL बैंक को Emirates NBD डील से फायदा हुआ है।
हालांकि शेयरों में तेजी दिखी है, लेकिन डॉ. वी.के. विजयकुमार का मानना है कि यह ताजा कटौती बैंकों के लिए कुछ चुनौतियां भी पैदा कर सकती है। उनका कहना है कि कम ब्याज दरों से बैंकों का नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) और घट सकता है, जिससे उनकी कमाई पर दबाव पड़ सकता है। साथ ही, कम ब्याज दरों पर बैंकों के लिए जमाएं (deposits) जुटाना और मुश्किल हो सकता है। वित्तीय विश्लेषकों का यह भी कहना है कि बैंक दरों में कोई बदलाव न होने की उम्मीद कर रहे थे, क्योंकि पहले की 100 bps कटौती का पूरा असर अभी लागू भी नहीं हुआ है।
डेटा दर्शाता है कि 2025 में पहली रेपो रेट कटौती के बाद से अब तक, 20 से अधिक प्राइवेट और सरकारी बैंक शेयरों में 20 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त दर्ज हुई है। निफ्टी PSU बैंक इंडेक्स इसी अवधि में 33 प्रतिशत चढ़ा है, जबकि निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स में 15 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है। दोनों ही इंडेक्स निफ्टी 50 की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट क्रांति बथिनी का मानना है कि बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं से जुड़े शेयरों में आने वाले समय में और तेजी देखने को मिल सकती है, क्योंकि अगले कुछ क्वार्टर्स में बैंकों की आमदनी मजबूत रहने की उम्मीद है।
इस अवधि के दौरान, देश के प्रमुख बैंकों के शेयरों में भी अच्छा प्रदर्शन देखने को मिला है। सरकारी बैंक एसबीआई के शेयर करीब 28 प्रतिशत बढ़े हैं, जबकि प्राइवेट सेक्टर के बड़े बैंक- HDFC बैंक और ICICI बैंक ने क्रमशः 15 प्रतिशत और 10 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है।