दिसंबर 2008 की तिमाही के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी में कमी की है। दिसंबर की तिमाही के दौरान एफआईआई ने निजी क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी में बढ़ोतरी की है।
दिसंबर 2008 की तिमाही के शेयरधारक पैटर्न आंकड़ों के अनुसार एफआईआई ने 21 सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सदारी को कम किया जबकि निजी क्षेत्र के 6 बैंकों में अपनी हिस्सेदारी में इजाफा किया है।
हालांकि इन्होंने चार बैंकों में अपनी हिस्सेदारी में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है। एफआईआई ने खासतौर पर छोटे और मझोले बैंकों में अपनी हिस्सेदारी को ज्यादातर बेचा है।
ऐसे बैंक जिनमें एफआईआई की हिस्सेदारी में 2-3 फीसदी की कमी आई है उनमें कर्नाटक बैंक, फेडरल बैंक, सिंडिकेट बैंक, इलाहाबाद बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक शामिल हैं।
कुछ बड़े बैंकों जैसे भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, कॉर्पोरेशन बैंक और कैनरा बैंक में एफआईआई की हिस्सेदारी में 1.5-2 फीसदी की कमी आई है।
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने निजी क्षेत्र के जिन बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है उनमें एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक शामिल हैं जिनमें इनकी हिस्सेदारी में 0.35 फीसदी की कमी आई है।
सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट्स मॉरिशस, सीएलएसए मॉरिशस, जेनसिस इंडिया इन्वेस्टमेंट कंपनी और प्लेटिनम ऐसेट मैंनेजमेंट ऐसे विदेशी संस्थागत निवेशक हैं जिन्होंने एसबीआई, फेडरल बैंक, कैनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, कर्नाटक बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा में अपनीहिस्सेदारी को घटाया है।
सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट्स मॉरिशस की सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, कैनरा बैंक और फेडरल बैंक में हिस्सेदारी में एक फीसदी से कम की कमी दर्ज की गई है जबकि सितंबर तिमाही की समाप्ति पर इन सभी बैंकों में सिटीग्रुप ग्लोबल की हिस्सेदारी 1 फीसदी थी।
एफआईआई की एसबीआई में हिस्सेदारी पिछले 8 वर्षों में सबसे ज्यादा यानी 11 फीसदी से कम के स्तर पर आई है। एफआईआई ने निजी क्षेत्र के बैंकों में एफआईआई ने एक्सिस बैंक में अपनी हिस्सेदारी 2 फीसदी से ज्यादा कमी की है।