भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भेदिया कारोबार पर और नकेल कसने के लिए नियमों का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत कीमतों को प्रभावित करने वाली जानकारी रखने वाले अधिकारियों से जुड़े लोगों के समूह को भेदिया कारोबार में संलिप्त होने से रोकना है।
बाजार नियामक ने नियमों में किसी तरह की खामी एवं इनके उल्लंघन की आशंका दूर करने के लिए ‘संबंधित व्यक्तियों’ एवं ‘संबंधी’की परिभाषा में संशोधन का प्रस्ताव दिया है।
सेबी ने कहा कि भेदिया कारोबार रोकने के लिए लाए गए नियमों के दायरे में नहीं आने वाले कुछ लोगों के पास भी उन अधिकारियों या किसी कंपनी के प्रमुख कर्मचारियों से जुड़ाव के कारण अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील सूचनाएं (यूपीएसआई) हो सकती हैं।
सेबी ने इस संबंध में सोमवार को जारी विमर्श पत्र में कहा, ‘इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि ऐसे लोग भी अधिकारियों एवं प्रमुख व्यक्तियों से अपने नजदीकी संबंधों के कारण भेदिया कारोबार में संलिप्त हो सकते हैं।’
प्रस्तावित बदलावों के अनुसार सेबी संबंधियों, संबंधित कंपनी या साझेदार, एक ही घर में रहने वाले लोग, अविभाजित हिंदू परिवार (एचयूएफ), जिसमें कर्ता संबंधित लोगों से जुड़ा हो सकता है, को ‘डीम्ड कनेक्टेड परसंस’की परिभाषा में लाने पर विचार कर रहा है।
अगर इन ‘डीम्ड कनेक्टेड परसंस’के खिलाफ भेदिया कारोबार का आरोप लगता है तो उन्हें यह साबित करना होगा कि वे अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील सूचनाएं यूपीएसआई नहीं थीं।
सेबी ने नियमों के दायरे में माता-पिता, भाई-बनह, पति-पत्नी एवं उनके माता-पिता सहित अन्य को लाने के लिए निकटतम संबंधी की जगह संबंधी शब्द इस्तेमाल करने का प्रस्ताव दिया है। नियामक ने कहा कि अनुपालन से जुड़ी जरूरत नहीं बढ़े इसके लिए यह ‘निकटतम संबंधी’ की परिभाषा बरकरार रखेगा।