भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेश होल्डिंग कंपनियों (आईएचसी या होल्डको.) के लिए एक अलग डीलिस्टिंग ढांचा बनाए जाने का प्रस्ताव रखा है। विश्लेषकों का मानना है कि इससे इन कंपनियों को आंतरिक वैल्यू पर किए जाने वाले कारोबार से जुड़े डिस्काउंट में कमी लाने में मदद मिल सकेगी। उनका कहना है कि हालांकि प्रस्तावित ढांचा एक जटिल साबित हो सकता हैऔर इसमें कई तरह की मंजूरियां जुड़ी होंगी।
सोमवार को जारी एक परामर्श पत्र में सेबी ने पहली बार उन होल्डिंग कंपनियों की सूचीबद्धता समाप्त किए जाने के लिए नए ढांचे का प्रस्ताव रखा है जो अन्य सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर रखती हैं। अक्सर होल्डिंग कंपनियां लाभांश कराधान, जटिल ढांचों और नियंत्रण के अभाव जैसे कई कारकों की वजह से अपनी आंतरिक वैल्यू के मुकाबले 40-70 प्रतिशत डिस्काउंट पर कारोबार करती हैं।
सेबी ने परामर्श पत्र में कहा है, ‘आईएचसी यानी होल्डिंग कंपनियों के शेयरों में आईएचसी के निवेश की निर्धारित वैल्यू की तुलना में कम भाव पर कारोबार किए जाने की संभावना रहती है। इसकी एक मुख्य वजह यह है कि आईएचसी के सदस्यों और प्रवर्तक समूह के निवेश दीर्घावधि होते हैं और बाजार को ऐसे शेयरों की बिक्री की संभावना नहीं होती है।’
प्रस्तावित नए डीलिस्टिंग ढांचे के तहत, कोई होल्डिंग कंपनी अन्य सूचीबद्ध कंपनियों में संबद्ध शेयर अपने सार्वनिक शेयरधारकों को स्थानांतरित कर सकती है या संबद्ध शेयरों के लिए एक्सचेंज में सार्वजनिक शेयरधारकों को नकद भुगतान कर सकती है। इसके अलावा, संबद्ध शेयरों के स्थानांतरण के आधार पर कंपनीज ऐक्ट, 2013 की धारा 66 के तहत पूंजी की खास कटौती के जरिये सार्वजनिक शेयरधारिता समाप्त की जा सकती है।
एक विश्लेषक ने कहा, ‘भारत में होल्डिंग कंपनी का डिस्काउंट नियामकीय और कराधान परिवेश की वजह से बेहद चुनौतीपूर्ण है।
वैश्विक तौर पर, होल्डिंग कंपनियां 10-25 प्रतिशत डिस्काउंट पर कारोबार करती हैं। यदि डीलिस्टिंग ढांचा आसान बनाया जाता है तो कुछ प्रवर्तक वैल्यू अनलॉक करने के प्रयास में अपने निवेश को निपटाना पसंद करेंगे। जब इस ढांचे पर हालात पूरी तरह स्पष्ट हो जाएंगे, हम होल्डिंग कंपनियों के डिस्काउंट में कमी देख सकेंगे।’
प्रमुख होल्डिंग कंपनियों के शेयरों में बुधवार के कारोबार में तेजी दर्ज की गई। मौजूदा समय में, बाजार मूल्य के लिहाज से सबसे बड़ी होल्डिंग कंपनी बजाज होल्डिंग्स ऐंड इन्वेस्टमेंट है जिसकी हिस्सेदारी बजाज ऑटो और बजाज फिनसर्व जैसी अन्य सूचीबद्ध कंपनियों में है।
वहीं टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा इन्वेस्टमेंट कॉर्प के पास ट्रेंट, टाटा केमिकल्स और टाटा कंज्यूमर के शेयर हैं। बजाज होल्डिंग्स और टाटा इन्वेस्टमेंट ने करीब 55 प्रतिशत और 70 प्रतिशत की गिरावट पर कारोबार किया है।
विश्लेषकों का कहना है कि प्रस्तावित ढांचा मौजूदा रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रणाली के लिए ज्यादा उदार है, वहीं जांच और संतुलन के संबंध में इसके अपने नियम हैं। सेबी ने प्रस्ताव रखा है कि नई व्यवस्था सूचीबद्ध कंपनियों में अपनी कम से कम 75 प्रतिशत शेयरधारिता रखने वाली सूचीबद्ध कंपनियों के लिए ही लागू होगी।
लूथरा ऐंड लूथरा लॉ ऑफिसेज इंडिया में पार्टनर निशांत सिंह ने कहा, ‘नए डीलिस्टिंग प्रस्ताव का मकसद होल्डिंग कंपनी डिस्काउंट से बचाकर छोटे निवेशकों को बेहतर कीमत सुरक्षा मुहैया कराना है। हालांकि शेयर पूंजी में कमी लाने की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण हो सकती है।’
सेबी द्वारा जारी परामर्श पत्र पर 4 सितंबर तक सार्वजनिक प्रतिक्रियाएं हासिल की जा सकेंगी। बाजार प्रतिक्रिया के आधार पर नियामक अपने बोर्ड को निर्णायक मंजूरी दे सकता है।