CFA इंस्टीट्यूट की एक नई रिपोर्ट ने फिनफ्लुएंसर्स के बढ़ते असर पर चिंता जताई है। रिपोर्ट के मुताबिक, केवल 2 प्रतिशत फिनफ्लुएंसर ही भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ रजिस्टर्ड हैं, लेकिन इनमें से 33 प्रतिशत फिनफ्लुएंसर सीधे तौर पर शेयर खरीदने-बेचने की सलाह देते हैं।
स्टडी में यह भी सामने आया है कि 63 प्रतिशत फिनफ्लुएंसर अपने स्पॉन्सरशिप या किसी वित्तीय फायदे की जानकारी ठीक से नहीं देते। इससे निवेशकों के लिए भ्रम की स्थिति बन सकती है और वे गलत सलाह का शिकार हो सकते हैं।
CFA इंस्टीट्यूट – इंडिया की कंट्री हेड आरती पोरवाल ने कहा, “निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और सिर्फ सेबी-रजिस्टर्ड सलाहकारों से ही निवेश की सलाह लेनी चाहिए। साथ ही, जिन फिनफ्लुएंसर को वे फॉलो कर रहे हैं, उनकी साख और रजिस्ट्रेशन स्टेटस जरूर जांचें।”
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पारदर्शिता बढ़ाने, सर्टिफिकेशन के मजबूत नियम लाने और नियामक कमियों को दूर करने की जरूरत है। स्टडी के अनुसार, 8 प्रतिशत निवेशकों ने माना कि वे फिनफ्लुएंसर की सलाह से ठगे जा चुके हैं, जिनमें 40 साल से ऊपर के लोग ज्यादा प्रभावित हुए।
दिलचस्प बात यह है कि 26-30 साल के निवेशक किसी फिनफ्लुएंसर पर भरोसा करने के लिए उसके फॉलोअर्स की संख्या को अहम मानते हैं। वहीं, जिन निवेशकों के लिए फिनफ्लुएंसर का रजिस्ट्रेशन स्टेटस बेहद जरूरी था, उनमें से आधे से ज्यादा को असल में उस स्टेटस की जानकारी नहीं थी।