facebookmetapixel
सुप्रीम कोर्ट ने कहा: बिहार में मतदाता सूची SIR में आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में करें शामिलउत्तर प्रदेश में पहली बार ट्रांसमिशन चार्ज प्रति मेगावॉट/माह तय, ओपन एक्सेस उपभोक्ता को 26 पैसे/यूनिट देंगेबिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ इंटरव्यू में बोले CM विष्णु देव साय: नई औद्योगिक नीति बदल रही छत्तीसगढ़ की तस्वीर22 सितंबर से नई GST दर लागू होने के बाद कम प्रीमियम में जीवन और स्वास्थ्य बीमा खरीदना होगा आसानNepal Protests: सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ नेपाल में भारी बवाल, 14 की मौत; गृह मंत्री ने छोड़ा पदBond Yield: बैंकों ने RBI से सरकारी बॉन्ड नीलामी मार्च तक बढ़ाने की मांग कीGST दरों में कटौती लागू करने पर मंथन, इंटर-मिनिस्ट्रियल मीटिंग में ITC और इनवर्टेड ड्यूटी पर चर्चाGST दरों में बदलाव से ऐमजॉन को ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल में बंपर बिक्री की उम्मीदNDA सांसदों से PM मोदी का आह्वान: सांसद स्वदेशी मेले आयोजित करें, ‘मेड इन इंडिया’ को जन आंदोलन बनाएंBRICS शिखर सम्मेलन में बोले जयशंकर: व्यापार बाधाएं हटें, आर्थिक प्रणाली हो निष्पक्ष; पारदर्शी नीति जरूरी

NSE को मिली इलेक्ट्रिसिटी डेरिवेटिव्स लॉन्च करने की मंजूरी, कॉन्ट्रैक्ट की रूपरेखा अभी तय नहीं

NSE को सेबी की सशर्त हरी झंडी, IPO और बाज़ार हिस्सेदारी पर भी दी जानकारी

Last Updated- May 07, 2025 | 9:14 PM IST
NSE

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को शेयर बाज़ार नियामक संस्था सेबी (SEBI) से “इन-प्रिंसिपल अप्रूवल” मिल गया है, जिससे अब वह बिजली से जुड़े डेरिवेटिव्स लॉन्च कर सकेगा। यह जानकारी NSE मैनेजमेंट ने चौथी तिमाही के नतीजों के बाद एनालिस्ट कॉल में दी। हालांकि अभी यह योजना शुरुआती दौर में है और कॉन्ट्रैक्ट की सभी शर्तें तय नहीं हुई हैं।

NSE के एक अधिकारी ने बताया, “हमने प्रक्रिया की शुरुआत की है। कॉन्ट्रैक्ट की शर्तें अभी सेबी के साथ चर्चा में हैं। इस प्रोडक्ट को लॉन्च करने से पहले काफी तैयारियां करनी होंगी।”

ALSO READ: Rohit Sharma retires: रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट से लिया संन्यास, इंग्लैंड दौरे से पहले लिया बड़ा फैसला

छोटे समय वाले कॉन्ट्रैक्ट पर ज़ोर

NSE ने बताया कि भारतीय नियामकों की मंशा छोटी अवधि वाले कॉन्ट्रैक्ट (जैसे 6 महीने या महीने भर के) लाने की है, जबकि कई दूसरे देशों में सालाना कॉन्ट्रैक्ट भी चलते हैं। इस पर फिलहाल सेबी के साथ बातचीत जारी है। यह भी बताया गया कि बिजली का स्पॉट मार्केट सेबी के दायरे में नहीं आता, लेकिन डेरिवेटिव्स बाज़ार पर सेबी का ही नियंत्रण होगा।

NSE का मानना है कि तकनीकी रूप से मज़बूत होने के कारण उसे इस नए बाज़ार में बढ़त मिल सकती है। अधिकारी ने कहा, “हमारी टेक्नोलॉजी कई और कंपनियों से बेहतर है, जिससे हमें फायदा हो सकता है।”

NSE ने कहा कि डेरिवेटिव्स बाज़ार में BSE से हुई बाज़ार हिस्सेदारी में गिरावट अब थम गई है। दरअसल, सेबी ने एक नियम बदला था, जिसके बाद हर एक्सचेंज पर सिर्फ एक बेंचमार्क के लिए साप्ताहिक एक्सपायरी की इजाजत दी गई थी।

NSE ने कहा, “अब तक जो नुकसान होना था, वह हो चुका है। जब तक कोई नई पॉलिसी सिर्फ NSE को टारगेट नहीं करती, तब तक बाज़ार हिस्सेदारी स्थिर रह सकती है।”

IPO पर सेबी से जवाब बाकी

जब NSE से IPO के बारे में पूछा गया तो कंपनी ने बताया कि 28 फरवरी को सेबी के पत्र का जवाब मार्च में दिया गया, लेकिन अब तक कोई उत्तर नहीं मिला है। NSE ने DRHP (ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस) फाइल करने के लिए नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट मांगा है। कंपनी ने बताया कि वह कॉलोकेशन सुविधा में 2,000 रैक जोड़ने की योजना बना रही है, जिसकी लागत करीब 520 से 550 करोड़ रुपये के बीच होगी। यह काम कई चरणों में किया जाएगा।

First Published - May 7, 2025 | 9:10 PM IST

संबंधित पोस्ट