नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) कारोबारी घंटे बढ़ाने के लिए निर्धारित की गई समय-सीमा को आगे बढ़ा सकता है। एक्सचेंज ने मार्च 2024 तक सिर्फ इंडेक्स डेरिवेटिव के लिए शाम को तीन घंटे कारोबार शुरू करने का लक्ष्य रखा था। सूत्रों का कहना है कि एक्सचेंज को बाजार नियामक से स्पष्ट संकेत नहीं मिला है, जिससे इस प्रस्ताव को लेकर उम्मीद धूमिल पड़ गई है।
कारोबारी घंटे बढ़ने से देश के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज को अपना मुनाफा और कारोबार बढ़ाने तथा डेरिवेटिव अनुबंध कारोबार के संदर्भ में दुनिया के सबसे बड़े बाजार के तौर पर अपनी हैसियत मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
इस बारे में एनएसई और सेबी को भेजे गए ईमेल संदेशों का जवाब नहीं मिला है। पिछले महीने सेबी अध्यक्ष माधवी पुरी बुच ने कहा था कि कारोबारी घंटे बढ़ाने के प्रस्ताव को कई अन्य प्रमुख हितधारकों से परामर्श की जरूरत है।
बुच ने 25 नवंबर को हुई सेबी की पिछली बोर्ड बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘बाजार में हितधारकों की तीन श्रेणियां हैं- मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन, स्टॉक ब्रोकर और इन्वेस्टर। इस पर विस्तार से चर्चा के लिए हम प्रतिक्रियाएं भी हासिल करना चाहते हैं। हम तभी पूरी तरह से कोई निर्णय ले पाएंगे जब ब्रोकरों और निवेशकों से फीडबैक मिले।’
उद्योग सूत्रों का कहना है कि ब्रोकर और निवेशकों ने इस प्रस्ताव पर स्टॉक एक्सचेंज जैसा उत्साह नहीं दिखाया है। एक्सचेंज के एक अधिकारी ने कहा, ‘निवेशकों की प्रतिक्रिया ज्यादा महत्वपूर्ण है। जब तक उनकी और अन्य हितधारकों की ओर से कोई मांग नहीं आती, सेबी आश्वस्त नहीं होगा। इस मामले पर सक्रियता बढ़ाने की जरूरत होगी। मौजूदा समय में सिर्फ एनएसई ही इस पर जोर दे रहा है।’
इस साल के शुरू में, एनएसई ने सेबी को इंडेक्स डेरिवेटिव पर शाम 6 बजे से 9 बजे के बीच विशेष सत्र की अनुमति के लिए आवेदन भेजा था। कुछ बाजार कारोबारियों ने नकदी बाजार खोले रखे बगैर डेरिवेटिव ट्रेडिंग के इस प्रस्ताव पर आशंका जताई थी।
एनएसई के मुख्य बिजनेस डेवलपमेंट ऑफीसर श्रीराम कृष्णन ने सितंबर में बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया था, ‘कुछ हितधारकों का मानना है कि बढ़े हुए कारोबारी घंटों में जब तक कैश इक्विटी सेगमेंट को खुला नहीं रखा जाएगा, तब तक एक भी स्टॉक वायदा एवं विकल्प का कोई मतलब नहीं होगा।
हम सतर्कता के साथ कदम उठा रहे हैं और तीन घंटे के लिए इंडेक्स डेरिवेटिव उत्पादों के लिए मांग को परखेंगे।’ उन्होंने यह भी कहा कि एक्सचेंज नई व्यवस्था पर अमल करने से पहले कुछ जोखिमों और निगरानी पहलुओं पर भी ध्यान देना होगा।
कई ब्रोकरों ने यह आशंका जताई है कि कारोबारी घंटे बढ़ने से लागत बढ़ जाएगी जिससे उनके राजस्व पर दबाव पड़ सकता है। मौजूदा समय में, इक्विटी कैश और डेरिवेटिव सेगमेंट, दोनों में सुबह 9.15 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक कारोबार होता है। उद्योग के जानकारों का कहना है कि सेबी को कारोबारी घंटे बढ़ाने के प्रस्ताव पर अमल के लिए चुनौतियों से जूझना पड़ेगा।