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ट्रंप टैरिफ के बाद ये स्टॉक्स करा सकते हैं मोटा मुनाफा, लेकिन इनसे रहें सावधान! पढ़ें ब्रोकरेज की रिपोर्ट

ट्रंप ने संभावित टैरिफ का केवल 50% ही लागू किया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका अभी भी बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहता है।

Last Updated- April 03, 2025 | 6:34 PM IST
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अमेरिकी सरकार ने हाल ही में व्यापार संतुलन बनाने के लिए एक नई टैरिफ नीति लागू की है, जिसके तहत उन देशों पर ऊंचा शुल्क लगाया गया है जो अमेरिकी उत्पादों के खिलाफ व्यापारिक बाधाएं खड़ी करते हैं। इस नीति के तहत भारत पर 26% टैरिफ लगाया गया है, लेकिन यह दर अन्य देशों की तुलना में कम है। इससे यह साफ होता है कि अमेरिका के नजरिए से भारत की व्यापारिक स्थिति फिलहाल बेहतर बनी हुई है।

भारतीय बाजार पहले ही इस बदलाव के लिए तैयार

ब्रोकरेज फर्म वेंचुरा के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन की इस टैरिफ नीति की आशंका पहले से थी, इसलिए भारतीय शेयर बाजार ने पहले ही इसका असर अपने दामों और निवेशकों की धारणा में समाहित कर लिया है। अच्छी बात यह है कि ट्रंप ने संभावित टैरिफ का केवल 50% ही लागू किया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका अभी भी बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहता है। इसका मतलब यह है कि आने वाले दिनों में इस मामले से जुड़े समाचार अधिक सकारात्मक हो सकते हैं और बाजार को कोई बड़ा झटका लगने की आशंका नहीं है।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा, वैश्विक सप्लाई प्रभावित

ट्रंप की इस नई नीति से अमेरिका में वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे वहां खपत कम हो सकती है। इसका असर यह होगा कि वैश्विक बाजार में उत्पादों की अधिकता (supply glut) हो सकती है, जिससे कंपनियों को दाम घटाने पड़ सकते हैं। यह महंगाई को काबू में लाने में मदद कर सकता है और ब्याज दरों को कम कर सकता है, लेकिन इसके चलते अमेरिका में आर्थिक मंदी आने की आशंका भी बढ़ सकती है। चूंकि अमेरिका का व्यापार यूरोप, जापान, चीन और अन्य एशियाई देशों से गहरे रूप से जुड़ा हुआ है, इसलिए वहां उत्पन्न अतिरिक्त सप्लाई पूरी दुनिया पर असर डाल सकती है और इससे वैश्विक स्तर पर दाम गिर सकते हैं।

भारत के लिए अवसर: अमेरिका-चीन व्यापार अलगाव से फायदा

अमेरिका ने भारत के निर्यात पर अन्य देशों की तुलना में कम शुल्क लगाया है, जिससे भारत को एक नया व्यापारिक अवसर मिल सकता है। यह अमेरिका-चीन के बीच बढ़ती दूरियों के कारण हो सकता है। बाइडेन प्रशासन पहले ही चीन से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को हटाने (decoupling) की नीति पर काम कर रहा था, और अब ट्रंप सरकार के आने से यह प्रक्रिया और तेज हो सकती है। इस स्थिति में भारत एक आकर्षक मैन्युफैक्चरिंग केंद्र के रूप में उभर सकता है, जहां कंपनियां अपने उत्पादन को ट्रांसफर कर सकती हैं।

ब्याज दरों में गिरावट से बढ़ेगा उपभोग, निर्यात को मिलेगा सहारा

कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा था, जिससे सप्लाई और मांग दोनों पर बुरा असर पड़ा था और महंगाई तेजी से बढ़ी थी। लेकिन इस बार स्थिति अलग है। अब वैश्विक उत्पादन का पुनर्वितरण हो रहा है, जिससे पूरी दुनिया में उत्पादन क्षमता बढ़ सकती है। इससे भारत को निर्यात के नए मौके मिल सकते हैं। भारत का कुल निर्यात अभी लगभग 750-800 अरब डॉलर है, जो चीन के 3.3 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात की तुलना में काफी कम है। ऐसे में भारत के पास वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का अच्छा मौका है।

भारत की ताकत: सस्ती लेबर, मजबूत कानूनी ढांचा और राजनीतिक स्थिरता

भारत की सफलता सिर्फ कम आधार (low base effect) पर निर्भर नहीं है। भारत के पास कुशल श्रमिकों की बड़ी संख्या है, जो कम लागत पर हाई क्वालिटी वाला उत्पादन कर सकते हैं। इसके अलावा, भारत की मजबूत कानूनी प्रणाली और स्थिर राजनीतिक माहौल इसे व्यापार के लिए एक सुरक्षित जगह बनाते हैं। भारत की प्रमुख वैश्विक व्यापारिक साझेदारों के साथ मजबूत रणनीतिक साझेदारी भी इसे एक आकर्षक मैन्युफैक्चरिंग हब बना रही है।

किन सेक्टर्स में है निवेश का मौका, कहां रहना चाहिए सतर्क?

  • ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक, फार्मा सेक्टर – भारतीय दवा कंपनियों पर अमेरिका के टैरिफ का ज्यादा असर नहीं पड़ा है। इससे सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज, और स्ट्राइड्स फार्मा जैसी कंपनियों को फायदा होगा। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर दवाओं के अनुबंधित मैन्युफैक्चरिंग (CDMO) कारोबार में तेजी देखने को मिल रही है, जिससे Laurus Labs, One Source Solutions, Sai Life Sciences, और Piramal Pharma को फायदा हो सकता है।
  • बैंकिंग सेक्टर – भारतीय बैंकों पर ब्याज दरों में गिरावट से दबाव बन सकता है, लेकिन क्रेडिट ग्रोथ अभी भी 12% के मजबूत स्तर पर बनी हुई है। सरकारी बैंक अब प्राइवेट बैंकों की तरह मुनाफा दे रहे हैं, जिससे उनमें निवेश का अच्छा मौका बन रहा है। Canara Bank, PNB, HDFC Bank, ICICI Bank, Kotak Mahindra Bank, और City Union Bank को लेकर निवेशकों में रुचि बनी रह सकती है।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर और पावर सेक्टर – ब्याज दरों में गिरावट से इस सेक्टर को फायदा हो सकता है। Adani Enterprises, Adani Power, Adani Energy, Adani Green, NTPC, Power Grid और IRB Infra जैसी कंपनियां इस बदलाव से लाभ कमा सकती हैं।
  • टेक्सटाइल सेक्टर – वैश्विक प्रतिस्पर्धियों पर ऊंचे आयात शुल्क के कारण भारत के कपड़ा उद्योग को फायदा हो सकता है। सरकार भी इस क्षेत्र को बढ़ावा दे रही है, जिससे Welspun Living, Indo Count Industries, Gokuldas Exports, Kitex Garments और KPR Mills जैसी कंपनियों को मजबूती मिल सकती है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर – भारत सरकार ने ₹22,919 करोड़ की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना को मंजूरी दी है, जिससे भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। Voltas, Blue Star, और Virtuoso Optoelectronics जैसी कंपनियां इस फैसले से लाभान्वित हो सकती हैं।

किन सेक्टर्स में निवेश से बचें?

  • ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक, ऑटोमोबाइल सेक्टर – अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ने से भारतीय ऑटो उद्योग को नुकसान हो सकता है। साथ ही, घरेलू ऑटो सेक्टर पहले से ही मंदी के दौर से गुजर रहा है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश से बचने की सलाह दी जा रही है।
  • आईटी सेक्टर – अमेरिका में टेक कंपनियों का दबदबा बना हुआ है, लेकिन भारतीय आईटी कंपनियों को वहां से उतने ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। इसके अलावा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव से आईटी कंपनियों के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो रही हैं।
  • जेम्स और ज्वैलरी सेक्टर – अमेरिका में सोने की बढ़ती कीमतों और ऊंचे टैरिफ के कारण भारतीय रत्न एवं आभूषण उद्योग पर दबाव बन सकता है।

(डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी के लिए है। निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।)

First Published - April 3, 2025 | 6:31 PM IST

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