देश की 10 अग्रणी फंड कंपनियां धीरे-धीरे छोटी म्युचुअल फंड कंपनियों के हाथों अपना हिस्सा गंवा रही हैं मगर इन दिग्गज म्युचुअल फंडों के पास फिर भी कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) का बड़ा हिस्सा है। पिछले छह साल के तिमाही एयूएम के विश्लेषण से यह जानकारी मिली है।
तीसरी तिमाही में 10 बड़े फंड हाउसों का औसत एयूएम 38.8 लाख करोड़ रुपये था जो उद्योग के कुल एयूएम 49.2 लाख करोड़ रुपये का 79 फीसदी है। इनकी हिस्सेदारी 2019-20 से लगातार घटी है। उस समय उनकी हिस्सेदारी 84 फीसदी हुआ करती थी।
विशेषज्ञों ने कहा कि एयूएम के संकेंद्रण में गिरावट की वजह कुल एयूएम में डेट फंडों की घटती हिस्सेदारी और म्युचुअल फंड कंपनियों की संख्या बढ़ना है।
बड़ी फंड कंपनियों की ऐक्टिव डेट फंडों (ऐेक्टिव इक्विटी फंडों के मुकाबले) पर मजबूत पकड़ है। ऐक्टिव इक्विटी एयूएम में 10 अग्रणी फंड हाउस की हिस्सेदारी करीब 70 फीसदी है। यह जानकारी एएमसी की तरफ से बताए गए तिमाही एयूएम के विश्लेषण से मिली।
कोविड के बाद ऐक्टिव इक्विटी योजनाओं ने डेट फंडों की कीमत पर कुल एयूएम में अपनी हिस्सेदारी में मजबूत उछाल दर्ज की है।
ऐक्टिव इक्विटी फंडों की हिस्सेदारी अब उद्योग के कुल एयूएम में 41 फीसदी है, जो फरवरी 2020 में 28 फीसदी थी। इसके साथ ही ऐक्टिव डेट फंडों की हिस्सदारी 45 फीसदी से घटकर 28 फीसदी रह गई। यह जानकारी उद्योग निकाय एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों से मिली।
कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में म्युचुअल फंडों का औसत एयूएम 49.3 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछली तिमाही से करीब 5 फीसदी ज्यादा है। यह लगातार छठी तिमाही है जब एयूएम में बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही के मुकाबले एयूएम में 22 फीसदी की उछाल आई है। यह मोटे तौर पर इक्विटी बाजार के उछाल और इक्विटी योजनाओं में बढ़ते निवेश के कारण है, खास तौर से सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिये।
10 अग्रणी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) में निप्पॉन इंडिया एमएफ ने क्रमिक आधार पर तीसरी तिमाही में एयूएम में सबसे ज्यादा 7.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की, जिसके बाद मिरे ऐसेट एमएफ का स्थान रहा।
एसबीआई एमएफ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ और एचडीएफसी एमएएफ तीन अग्रणी फंड हाउस बने हुए हैं और तीनों 5-5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की परिसंपत्तियों का प्रबंधन करते हैं।