भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वित्त वर्ष 2024-25 की अपनी एनुअल रिपोर्ट में करीब ₹77,800 करोड़ को ‘रिकवरी में मुश्किल’ बकाया के रूप में चिह्नित किया है। यह पिछले साल की तुलना में लगभग 2% ज्यादा है। लगातार कोशिशों के बावजूद यह रकम अब तक वसूल नहीं हो पाई है।
कुल बकाया में से ₹61,200 करोड़ से ज्यादा की रकम उन मामलों से जुड़ी है जो कोर्ट द्वारा नियुक्त समितियों के पास लंबित हैं, जबकि करीब ₹12,300 करोड़ ऐसे मामलों से संबंधित है जो राज्य के पीआईडी कोर्ट, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT), नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे समानांतर मामलों में अटकी हुई है।
सेबी ने स्पष्ट किया है कि किसी बकाए को ‘रिकवरी में मुश्किल’ (DTR) कैटेगरी में डालने का मतलब यह नहीं है कि हालात बदलने पर अधिकारी उसकी वसूली का प्रयास नहीं कर सकते।
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एनुअल रिपोर्ट में सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि नियामक का जोर नियमों को सरल बनाने, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए मानकों में ढील देने और निवेशकों की जागरूकता बढ़ाने पर है।
पांडेय ने कहा कि सेबी मौजूदा नियमों की समीक्षा कर उन्हें सरल और तार्किक बनाने की व्यापक पहल करेगी, क्योंकि अधिक या आपस में टकराने वाले नियमों से अनुपालन लागत बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया कि सेबी का लक्ष्य विदेशी निवेशकों (FPI) के लिए नियामकीय ढांचे को सुगम बनाना है, ताकि उनके संचालन में आसानी हो और लॉन्ग टर्म विदेशी पूंजी का फ्लो बढ़े। हालिया पहलों में केवल भारतीय सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों के लिए आसान रजिस्ट्रेशन और कम जोखिम वाले एफपीआई के लिए ‘SWAGAT-FI’ नामक सिंगल-विंडो क्लियरेंस सिस्टम का प्रस्ताव शामिल है।
पांडेय ने कहा, “हमारे प्रयास प्रक्रियाओं को सरल बनाने, नियामकीय अड़चनों को दूर करने और FPI व अन्य हितधारकों के साथ संवाद मजबूत करने पर केंद्रित रहेंगे। निवेशकों की शिक्षा, खासकर साइबर फ्रॉड के प्रति जागरूकता, हमारी शीर्ष प्राथमिकताओं में बनी रहेगी।”
इस साल के अन्य अहम फोकस क्षेत्रों में स्टॉक ब्रोकरों के लिए अनुपालन आवश्यकताओं को आसान बनाना, ऑफर डॉक्युमेंट्स को सरल करना, एसेट मैनेजमेंट कंपनियों पर लगाई गईं पाबंदियों की समीक्षा करना और अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (AIF) में सुधार लागू करना शामिल हैं।
सेबी मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग (MTF) फ्रेमवर्क की भी समीक्षा कर रहा है, जिसमें पात्र सिक्योरिटीज को शामिल करना भी है। NSE के आंकड़ों के अनुसार 8 अगस्त तक MTF बुक ₹92,000 करोड़ पर थी। नियामक ने टेकओवर रेगुलेशंस की समीक्षा के लिए एक समिति बनाई है, जिसका काम न्यायिक फैसलों और दुनिया भर में अपनाये जा रहे बेहतर तरीकों के अनुरूप फ्रेमवर्क को सरल और मजबूत बनाना है।
सेबी ने अपने इन्वेस्टर अवेयरनेस स्ट्रैटेजी को तैयार करने के लिए देशभर में निवेशकों का सर्वे किया है और साइबर सिक्योरिटी तथा तकनीकी ढांचे को भी और मजबूत किया है। पिछले साल निरीक्षण गतिविधियों में तेजी आई। वित्त वर्ष 2024 में जहां 146 स्टॉकब्रोकर का निरीक्षण हुआ था, वहीं वित्त वर्ष 2025 में यह संख्या बढ़कर 312 हो गई। निवेश सलाहकारों और रिसर्च एनालिस्ट के निरीक्षण भी तेज हुए, जो पिछले साल क्रमशः 21 और 15 थे, वहीं इस साल यह बढ़कर 207 और 149 हो गए। सेटलमेंट एप्लिकेशन फाइलिंग भी बढ़कर वित्त वर्ष 2024 के 434 से वित्त वर्ष 2025 में 703 पर पहुंच गई।
लंबित मामलों की बात करें तो मार्च 2025 तक सुप्रीम कोर्ट में 520 और सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) में 960 मामले निपटारे का इंतजार कर रहे थे।