Yes Bank Loan Fraud: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उद्योगपति अनिल अंबानी (Anil Ambani) की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने यस बैंक (Yes Bank) में निवेश से जुड़े आरोपों के निपटारे की मांग की थी। इसके चलते अब उन पर कम से कम 1,828 करोड़ रुपये का जुर्माना लग सकता है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
रॉयटर्स द्वारा देखे गए दस्तावेजों के मुताबिक, यह निवेश यस बैंक से ग्रुप की अन्य कंपनियों को लोन दिलाने के बदले में किया गया था। 2016 से 2019 के बीच अंबानी की रिलायंस म्युचुअल फंड ने यस बैंक के एडिशनल टियर-1 बॉन्ड्स में ₹2,150 करोड़ का निवेश किया था। 2020 में बैंक को दिवालिया घोषित किए जाने पर ये बॉन्ड्स राइट ऑफ हो गए थे।
रिलायंस म्युचुअल फंड को 2019 में निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस को बेच दिया गया था और आरोप इस बिक्री से पहले के हैं।
सेबी ने कहा कि यह निवेश यस बैंक द्वारा अंबानी ग्रुप की अन्य कंपनियों को दिए गए लोन के बदले में किया गया था। बाजार नियामक का अनुमान है कि निवेशकों को ₹1,828 करोड़ का नुकसान हुआ है और इस मामले को उसने ‘मार्केट-वाइड इंपैक्ट’ वाला बताया है।
अनिल अंबानी, उनके बेटे जय अनमोल अंबानी और यस बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर ने पहले दोष स्वीकार किए बिना सेटलमेंट की मांग की थी।
रॉयटर्स द्वारा देखे गए दस्तावेजों के अनुसार, सेबी अनिल अंबानी और उनके बेटे को निर्देश भेजेगा, जिसमें उनसे निवेशकों को मुआवजा देने के लिए कहा जाएगा। दस्तावेजों में यह भी कहा गया है कि अतिरिक्त कार्रवाई में वित्तीय जुर्माना भी शामिल हो सकता है।
सेबी ने अपनी जांच के नतीजे प्रवर्तन निदेशालय (ED) को भी भेज दिए हैं, जिससे यह मामला आपराधिक या मनी लॉन्ड्रिंग जांच तक बढ़ सकता है।
इस महीने की शुरुआत में ईडी ने अंबानी को पूछताछ के लिए तलब किया था और रिलायंस ग्रुप की कई कंपनियों पर छापेमारी भी की थी। इस दौरान एजेंसी ने कई दस्तावेज और कंप्यूटर उपकरण अलग-अलग स्थानों से बरामद किए।