एसआईपी के लिए औसत घट रहा है, भले ही नए खाते खोलने की रफ्तार मजबूत बनी हुई है। म्युचुअल फंडों की पहुंच बढ़ने की वजह से एसआईपी का औसत आकार हाल के वर्षों में कमजोर पड़ गया था। हालांकि महामारी के बाद की अवधि में बड़ी गिरावट के बाद औसत आकार में फिर से तेजी आने लगी है, क्योंकि उद्योग ने पिछले चार साल में अपने निवेशक आकार को करीब दोगुना कर लिया है।
भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (AMFI) के आंकड़े से पता चलता है कि 9.9 करोड़ एसआईपी खातों में सितंबर 2024 में प्रत्येक में औसत तौर पर 2,483 रुपये का निवेश आया। तुलनात्मक तौर पर, मार्च में यह राशि 2,294 रुपये और सितंबर 2023 में 2,250 रुपये थी।
प्रति एसआईपी अकाउंट औसत निवेश महामारी से पहले करीब 3,000 रुपये था। दिसंबर 2019 में, निवेशकों ने अपने एसआईपीओ खातों के जरिये औसतन 2,858 रुपये का योगदान दिया। तब से, एसआईपी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है और खातों की संख्या दिसंबर 2019 के 2.98 करोड़ से बढ़कर मौजूदा समय में करीब 10 करोड़ पर पहुंच गई है।
यह भारी तेजी इक्विटी बाजार में मजबूती और नई फंड पेशकशों में इजाफे की वजह से आई। एसआईपी खातों में वृद्धि, खासकर कैलेंडर वर्ष 2024 में आई। पहले 9 महीनों में, म्युचुअल फंडों ने 2.24 करोड़ खाते जोड़े, जबकि पूरे कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान यह आंकड़ा 1.51 करोड़ था।
एसआईपी खातों की बढ़ती संख्या की वजह से मासिक एसआईपी संग्रह में तेज वृद्धि को भी बढ़ावा मिला है। एसआईपी संग्रह दिसंबर 2023 में 17,610 करोड़ रुपये था, जो अगस्त 2024 में बढ़कर 24,509 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
एसआईपी म्युचुअल फंड उद्योग के लिए पूंजी निवेश आकर्षित करने का मुख्य स्रोत बन गया है। मार्च 2021 से इक्विटी फंड प्रवाह लगातार 43 महीने तक मजबूत बना रहा।