म्युचुअल फंडों (एमएफ) का इक्विटी बाजार में निवेश अक्टूबर में छह महीने में सबसे कम रहा जो बाजार में सुधार के बीच इक्विटी एमएफ योजनाओं में नए निवेश में कमी का संकेत है। पिछले महीने यानी अक्टूबर में म्युचुअल फंडों ने इक्विटी में शुद्ध 17,778 करोड़ रुपये का निवेश किया जबकि सितंबर में उन्होंने 46,442 करोड़ रुपये लगाए थे। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त में म्युचुअल फंडों का इक्विटी बाजार में निवेश 70,534 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था।
विशेषज्ञों के अनुसार एमएफ इक्विटी निवेश में गिरावट का कारण मुनाफावसूली और बढ़ते मूल्यांकन संबंधी चिंता हो सकती है क्योंकि शेयरों की कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर के करीब पहुंच गई हैं।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, ‘पिछले महीने म्युचुअल फंड योजनाओं में शुद्ध निवेश इसलिए कम रहा है क्योंकि निवेशकों ने मुनाफावसूली की और ऊंचे मूल्यांकन के बीच सोच-समझकर कदम उठाया। कंपनियों के तिमाही नतीजों को देखते हुए फंड मैनेजर भी नई पूंजी लगाने से पहले कंपनी के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए फिलहाल इंतजार कर रहे हैं।’
म्युचुअल फंड मुख्य रूप से ऐक्टिव और पैसिव इक्विटी तथा हाइब्रिड योजनाओं में निवेश और बिकवाली के आधार पर ज्यादातर निवेश का निर्णय करते हैं। इसके अतिरिक्त नकदी की स्थिति और हाइब्रिड फंडों के इक्विटी आवंटन भी समग्र निवेश स्तर को प्रभावित करते हैं।
कुछ फंड मैनेजर इक्विटी योजनाओं में ऊंचे मूल्यांकन पर बाजार में निवेश करने पर अपनी चिंता व्यक्त कर रहे हैं।
जुलाई 2025 में 42,702 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद ऐक्टिव इक्विटी योजनाओं में शुद्ध निवेश में कमी आई है। सितंबर में निवेशकों ने 30,422 करोड़ रुपये का निवेश किया था। निवेश घटने का मुख्य कारण मुनाफावसूली है क्योंकि इक्विटी बाजार मार्च 2025 के निचले स्तर से धीरे-धीरे उबर रहा है।
अक्टूबर में भी बाजार में सुधार जारी रहा, जिससे बेंचमार्क सूचकांक अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर के करीब पहुंच गए।
निफ्टी 50 और सेंसेक्स में अक्टूबर में करीब 4.5 फीसदी की तेजी आई जो जुलाई-सितंबर तिमाही में कंपनियों की बेहतर आय और स्थिर विदेशी पोर्टफोलियो
निवेश के कारण सात महीनों में उनकी सबसे बड़ी मासिक उछाल थी।
एएसके प्राइवेट वेल्थ ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘आय-मूल्यांकन गणित प्रतिकूल बना हुआ है और यही वजह है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक बाजार से दूरी बनाए हुए हैं। प्रवर्तकों द्वारा शेयरों की बिक्री और आरंभिक सार्वजनिक निर्गम की बाढ़ ने भी आपूर्ति काफी बढ़ा दी है। वृद्धि के लिए बढ़ती पूंजी आवश्यकता और उच्च तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी कंपनियों की कमी के बीच इक्विटी पर घटते रिटर्न से बाजार पर दबाव बना हुआ है। मगर उच्च आवृत्ति वाले संकेतक वास्तविक क्षेत्रों में कुछ तेजी की ओर इशारा करते हैं।’
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक नोट में कहा है, ‘निफ्टी में अक्टूबर में 5 फीसदी और इस साल अभी तक 9 फीसदी की तेजी आई है जो कम वृद्धि के माहौल में मध्यम रिटर्न की संभावना को दर्शाता है। मामूली बढ़त के बावजूद इस साल घरेलू शेयरों का प्रदर्शन अधिकांश वैश्विक बाजारों से पीछे है।’