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इमरजेंसी में Mutual Funds पर आसानी से मिल जाएगा सस्ता लोन, कब करें अप्लाई; जानें इसके नफा-नुकसान

म्युचुअल फंड पर लोन एक ऐसी सुविधा है, जिसमें निवेशक अपने म्युचुअल फंड यूनिट्स को गिरवी रखकर कर्ज ले सकते हैं।

Last Updated- April 08, 2025 | 9:44 AM IST
Loan Against Mutual fund

Loan Against Mutual Funds: अचानक पैसों की जरूरत पड़ने पर निवेशकों के लिए म्युचुअल फंड्स बेचकर पैसों का इंतजाम करना एक आसान रास्ता नजर आता है। लेकिन इसका एक बड़ा नुकसान यह होता है कि इससे लॉन्ग टर्म फाइनैंशियल गोल पटरी से उतर सकते हैं। ऐसे में एक सरल और आसान विकल्प म्युचुअल फंड्स पर लोन (Loan Against Mutual Funds – LAMF) लेना भी है। इसमें निवेशक को अपने म्युचुअल फंड्स बेचने की जरूरत नहीं पड़ती, ब​ल्कि वह उन्हें मॉर्गेज कर नकदी (Cash) हासिल कर सकता है। यानी, म्युचुअल फंड पर लोन लेकर आप न केवल अपनी जरूरत को पूरा कर सकते हैं, बल्कि आपका निवेश भी बना रहता है और लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन की राह में कोई रुकावट नहीं आती।

Loan Against Mutual Funds: क्या है?

म्युचुअल फंड पर लोन एक ऐसी सुविधा है, जिसमें निवेशक अपने म्युचुअल फंड यूनिट्स को गिरवी रखकर कर्ज ले सकते हैं। सेबी में रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर और इंटरप्रेन्योर गौरव गोयल कहते हैं, “जब भी पैसों की कमी होती है, खासकर शॉर्ट टर्म जरूरतों में, तब म्युचुअल फंड होल्डिंग्स पर लोन लिया जा सकता है। यह आपके म्युचुअल फंड यूनिट्स को रिडीम करने से कहीं बेहतर विकल्प है। म्युचुअल फंड में निवेश आमतौर पर लॉन्ग टर्म जरूरतों को ध्यान में रखकर किया जाता है, इसलिए इन्हें छोटी अवधि की कैश जरूरतों के लिए रिडीम करना सही स्ट्रैटेजी नहीं है।”

गोयल कहते हैं, ऐसी स्थितियों में म्युचुअल फंड पर लोन उठाना एक बेहतर प्रैटिकल सॉल्यूशन नजर आता है। इस तरह के फाइनेंस विकल्प पर ब्याज दर (Interest Rates) आमतौर पर क्रेडिट कार्ड (Credit Card) या पर्सनल लोन (Personal Loan) जैसे अन्य विकल्पों की तुलना में कम होती है, क्योंकि यह एक सुरक्षित लोन होता है जो आपके म्युचुअल फंड यूनिट्स को गिरवी रखकर लिया जाता है।

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म्युचुअल फंड पर लोन लेने के फायदे

म्युचुअल फंड पर लोन उठाना खासतौर पर इसलिए फायदेमंद है क्योंकि इससे निवेशकों को अपनी जरूरतों के लिए निवेश बेचे बिना पैसे मिल जाते हैं और उनका निवेश भविष्य में बढ़ने की संभावनाओं के साथ बना रहता है। BPN Fincap के डायरेक्टर ए के निगम कहते हैं कि म्युचुअल फंड पर लोन लेने के फायदे तो है, मगर इसके अपने कुछ नुकसान भी है। इसलिए म्युचुअल फंड पर लोन सोच-समझकर लेना चाहिए।

1. तेज प्रोसेसिंग: म्युचुअल फंड पर लोन की प्रक्रिया सामान्य लोन की तुलना में काफी तेज होती है। आजकल कई बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFCs) ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर यह सुविधा देती हैं, जिससे लोन अप्रूवल और डिस्बर्सल कुछ ही घंटों या दिनों में हो सकता है।

2. कम ब्याज दर: यह एक सिक्योर लोन होता है, क्योंकि इसमें म्युचुअल फंड यूनिट्स को गिरवी रखा जाता है। इसी वजह से, इस पर ब्याज दर क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन जैसे अनसिक्योर लोन की तुलना में कम होती है।

3. निवेश को बेचने की जरूरत नहीं: इस विकल्प में आपको अपने म्युचुअल फंड यूनिट्स बेचने की जरूरत नहीं होती। इससे आपका निवेश बना रहता है और बाजार में बढ़त होने पर आपको उसका फायदा मिलता रहता है। यानी आप कैश भी पा जाते हैं और निवेश भी बना रहता है।

4. कहीं भी उपयोग कर सकते हैं: म्युचुअल फंड पर लिए गए लोन का उपयोग आप किसी भी जरूरत के लिए कर सकते हैं— जैसे कि मेडिकल इमरजेंसी, बच्चों की फीस, बिज़नेस की जरूरत, यात्रा आदि। इस पर कोई शर्त नहीं होती कि पैसा कहां खर्च करना है।

5. स्वामित्व बना रहता है: हालांकि आपने यूनिट्स को गिरवी रखा होता है, फिर भी उनकी मालिकियत (ownership) आपके पास बनी रहती है। आप डिविडेंड या बोनस जैसे लाभों के पात्र भी बने रहते हैं (यदि योजना में ऐसे लाभ मिलते हों)।

6. NAV पर आधारित लोन लिमिट: आपको कितना लोन मिलेगा, यह आपके म्युचुअल फंड यूनिट्स की नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर निर्भर करता है। आमतौर पर 50% से 70% तक की लोन राशि NAV के आधार पर दी जाती है।

7. आसान प्रीपेमेंट ऑप्शन: इस तरह के लोन में आप चाहे तो आगे चलकर बिना किसी प्रीपेमेंट पेनल्टी के पूरे लोन को एक साथ चुका सकते हैं। यह सुविधा उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो कुछ समय के लिए ही कैश की जरूरत रखते हैं।

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म्युचुअल फंड पर लोन के नुकसान

1. बाजार में उतार-चढ़ाव का जोखिम: आपके गिरवी रखे गए म्युचुअल फंड्स का मूल्य बाजार की चाल पर निर्भर करता है। यदि NAV में भारी गिरावट आती है, तो लेंडर आपसे अतिरिक्त गारंटी (कोलेटरल) देने या आंशिक भुगतान (मार्जिन कॉल) की मांग कर सकता है।

2. अवसर लागत: निवेश भले ही बना रहता है, लेकिन अगर उसका एक हिस्सा गिरवी रखा गया है और आप उसे रिडीम नहीं कर सकते, तो उस पर मिलने वाला संभावित रिटर्न सीमित हो सकता है।

3. लीक्विडेशन का जोखिम: अगर आप लोन चुकाने में चूक करते हैं, तो लेंडर को गिरवी रखे गए म्युचुअल फंड यूनिट्स बेचने का अधिकार होता है, जिससे वह अपना बकाया वसूल सकता है।

4. लॉन्ग टर्म जरूरतों के लिए उपयुक्त नहीं: म्युचुअल फंड्स पर लोन लेना आमतौर पर अल्पकालिक या तात्कालिक वित्तीय जरूरतों के लिए उपयुक्त होता है, न कि लंबी अवधि की उधारी के लिए।

5. सिर्फ कुछ फंड्स पर ही लोन: सभी म्युचुअल फंड्स को गिरवी नहीं रखा जा सकता। लेंडर केवल कुछ विशेष प्रकार के फंड्स (जैसे इक्विटी या डेट फंड्स) पर ही लोन देते है। लेडर्स केवल मान्य फंड हाउस से ही म्युचुअल फंड स्वीकार करते हैं।

6. जुड़े हुए शुल्क: लेंडर्स प्रोसेसिंग फीस, प्लेज फीस या अन्य प्रशासनिक शुल्क ले सकते हैं, जो कुल उधारी लागत को बढ़ा सकते हैं।

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म्युचुअल फंड्स पर लोन कब लेना चाहिए?

उपयुक्त स्थिति: जब आपको अल्पकालिक नकदी की जरूरत हो और आप लोन को तय समय में चुकाने को लेकर आश्वस्त हों।

बचें: अगर बाजार में अस्थिरता की आशंका हो या आपके म्युचुअल फंड्स पर मिलने वाला रिटर्न लोन की ब्याज दर से ज्यादा हो, तो ऐसे समय पर लोन लेने से बचना चाहिए।

First Published - April 8, 2025 | 9:44 AM IST

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