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रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) अपनी दूरसंचार सेवा इकाई रिलायंस जियो को अगले साल जून तक सूचीबद्ध कराएगी, जबकि समूह भारत की सबसे बड़ी दूरसंचार सेवा प्रदाता बनने के बाद जियो की सेवाओं को अन्य वैश्विक बाजारों में भी ले जाने की योजना बना रहा है। कंपनी के 50 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं, जिनमें से 22 करोड़ 5जी सेवा का उपयोग कर रहे हैं। मामले से अवगत लोगों ने बताया कि आईपीओ जियो प्लेटफॉर्म्स (जेपीएल) द्वारा लाया जाएगा, जो रिलायंस जियो इन्फोकॉम की होल्डिंग कंपनी है और दूरसंचार कंपनी की पूर्ण स्वामित्व भी रखती है।
आरआईएल के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने शुक्रवार को समूह की सालाना आम बैठक (एजीएम) में कहा, ‘आज, मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि जियो अपने आईपीओ के लिए तैयारी कर रहा है। हमारा लक्ष्य सभी जरूरी मंजूरियां मिल जाने पर 2026 की पहली छमाही तक जियो को सूचीबद्ध कराना है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि इससे यह साबित होगा कि जियो हमारे वैश्विक समकक्षों के समान ही मूल्य सृजन करने में भी सक्षम है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह सभी निवेशकों के लिए एक बेहद आकर्षक अवसर होगा।’ जियो प्लेटफॉर्म्स को वर्ष 2020 में कुल 152,055.45 करोड़ रुपये या 20 अरब डॉलर का निवेश प्राप्त हुआ था, जिसके तहत उसने मेटा (तत्कालीन फेसबुक) और गूगल जैसे दो दर्जन से अधिक निवेशकों को 32.97 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची थी। जेपीएल में आरआईएल की 66.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
इस महीने के शुरू में ब्लूमबर्ग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि जियो अपने आईपीओ के जरिये 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर सकती है। उद्योग के जानकारों का कहना है कि हालांकि इक्विटी बिक्री बाजार नियामक द्वारा निर्धारित 25 प्रतिशत की सामान्य आवश्यकता से कम होगी, लेकिन मौजूदा मूल्यांकन के आधार पर जियो आईपीओ भारत में सबसे बड़ा होगा।
वित्तीय आंकड़ों के आधार पर, जेफरीज ने इस साल अप्रैल में जारी एक नोट में रिलायंस के दूरसंचार परिचालन का मूल्यांकन 118 अरब डॉलर आंका था। शुक्रवार तक भारती एयरटेल का बाजार पूंजीकरण 1,077,213 करोड़ रुपये या 12 अरब डॉलर से अधिक था।