एमआरएफ (MRF Stock price) का शेयर मंगलवार को पहली बार बीएसई पर कारोबारी सत्र के दौरान 1.4 फीसदी की बढ़त के साथ 1,00,300 की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया। यह शेयर 8 मई, 2023 के पिछले उच्चस्तर 99,879.65 के पार निकल गया।
इस कैलेंडर वर्ष में एमआरएफ का प्रदर्शन उम्दा रहा है और वित्तीय प्रदर्शन में सुधार के दम पर कंपनी का शेयर 14 फीसदी चढ़ा है। इसकी तुलना में एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स में इस दौरान 3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पिछले एक साल में यह शेयर 46 फीसदी चढ़ा है जबकि बेंचमार्क इंडेक्स में 19 फीसदी का इजाफा हुआ है।
हालिया तिमाही और वित्त वर्ष 23 में उत्साहजनक प्रदर्शन के बावजूद विश्लेषक एमआरएफ की समकक्ष फर्मों मसलन अपोलो टायर्स, बालकृष्ण इंडस्ट्रीज और सिएट को तरजीह देते हैं। उनका कहना है कि एमआरएफ महंगे मूल्यांकन पर कारोबार कर रहा है, जो टायर विनिर्माता को कम आकर्षक बनाता है।
आईडीबीआई सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर ने कहा, पिछले कुछ महीनों में एमआरएफ की रफ्तार अच्छी रही है और यह कैलेंडर वर्ष 2023 में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले टायर स्टॉक में से एक रहा है। अभी यह वित्त वर्ष 23 की आय के करीब 55 गुने पर कारोबार कर रहा है, जो काफी महंगा है।
पारंपरिक तौर पर टायर शेयरों की ट्रेडिंग 20 गुने से कम पर हुई है। यह एमआरएफ को अपनी समकक्ष कंपनियों के मुकाबले कम आकर्षक बनाता है। टायर क्षेत्र में अपोलो टायर्स और बालकृष्ण इंडस्ट्रीज बेहतर दांव हैं जबकि एमआरएफ पूरी तरह से मूल्यांकन के नजरिये से बेहतर है।
इसके अलावा एक्सचेंजों पर एमआरएफ का काफी कम ट्रेडिंग वॉल्यूम चिंता का अन्य विषय है। मंगलवार को बीएसई पर 10.30 बजे तक कुल ट्रेडिंग वॉल्यूम महज 297 शेयरों का था। पिछले तीन महीने में औसत रूप से संयुक्त ट्रेडिंग वॉल्यूम 8,631 रहा है।
प्रभाकर का मानना है कि खुदरा निवेशकों के लिए यह शेयर खरीदना मुश्किल है। एफआईआई व बड़े संस्थागत निवेशक ही इतनी ऊंची कीमत वाले शेयर को खरीदकर रख सकते हैं।
31 मार्च, 2023 को एमआरएफ के कुल 42.4 करोड़ इक्विटी शेयर थे। इनमें से प्रवर्तकों के पास 27.84 फीसदी जबकि सार्वजनिक शेयरधारकों के पास बाकी 72.16 फीसदी हिस्सेदारी थी।
सार्वजनिक शेयरधारकों में कॉरपोरेट निकाय के पास 18.80 फीसदी जबकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के पास 18.05 फीसदी हिस्सेदारी थी। खुदरा निवेशकों के पास इस कंपनी की 13.55 फीसदी, म्युचुअल फंडों के पास 6.83 फीसदी और अन्य देसी संस्थानों के पास 4.65 फीसदी हिस्सेदारी थी।
उत्साहजनक प्रदर्शन
फंडामेंटल के स्तर पर, बढ़ी लागत का भार धीरे-धीरे ग्राहकों पर डालने के बावजूद पिछली तीन तिमाहियों में लाभ निचले स्तर पर बना रहा। हालांकि साल के दूसरे हिस्से में कच्चे माल (कच्चा तेल व रबर) में नरमी के कारण वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही में कच्चे माल की कम लागत का फायदा बेहतर लाभ के तौर पर देखने को मिला।
वित्त वर्ष 2022-23 में एमआरएफ का एकीकृत शुद्ध लाभ 768.96 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 22 में 669.24 करोड़ रुपये रहा था। एकीकृत कुल आय सालाना आधार पर 18.5 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 23,261 करोड़ रुपये पर पहुंच गई जबकि एबिटा मार्जिन 10.4 फीसदी पर स्थिर बनी रही, जो एक साल पहले 10.6 फीसदी रही थी।