बजट में दीर्घावधि एवं अल्पावधि पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी, एसटीसीजी) पर ऊंची कर दरों के प्रस्ताव और महंगे मूल्यांकन संबंधित चिंताओं के बावजूद मिडकैप एवं स्मॉलकैप में तेजी की रफ्तार प्रभावित नहीं हुई है।
एसीई इक्विटी के आंकड़ों से पता चलता है कि 23 जुलाई (जब बजट पेश किया गया था) के निचले स्तर से मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में 6 प्रतिशत और 7 प्रतिशत से ज्यादा तेजी आ चुकी है। इस अवधि में सेंसेक्स 2.5 प्रतिशत चढ़ा है।
बजट में शेयरों की बिक्री पर एलटीसीजी मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत और एसटीजीसी कर 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किए गए हैं।
विश्लेषक छोटे निवेशकों के पसंदीदा इन दो सेगमेंट पर मूल्यांकन चिंताओं की वजह से सतर्क बने हुए हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि निवेशकों ने अभी तक विश्लेषकों की चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया है।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज में मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार के अनुसार, बाजार में आय और बाजार मूल्यों के बीच अंतर इन सेगमेंटों में निरंतर पूंजी प्रवाह और खुदरा खरीदारी से प्रेरित है। उन्होंने कहा, ‘बाजार का इतिहास हमें बताता है कि तर्कहीन उत्साह अनुभवी विशेषज्ञों की सोच से ज्यादा समय तक चल सकता है। लेकिन हमेशा सावधानी बरतना बेहतर होता है। इस पूरे तेजी के दौर में गिरावट पर खरीदारी की रणनीति कारगर रही है। निवेशक गिरावट का इस्तेमाल उचित मूल्य वाले लार्जकैप खरीदने के लिए कर सकते हैं।’
दलाल पथ पर एमटीएनएल, एंटनी वेस्ट हैंडलिंग, एमएमटीसी, आईएफसीआई, पीजी इलेक्ट्रोप्लास्ट, हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी, अशोका बिल्डकॉन, नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट, अरविंद स्मार्टस्पेसेज और प्रोटीन ई-गॉव टेक्नोलॉजीज के शेयर बजट के दिन बनाए गए अपने निचले स्तरों से 39 प्रतिशत तक चढ़े हैं। जहां सेंसेक्स 24.3 के उचित पीई पर कारोबार कर रहा है, वहीं बीएसई स्मॉलकैप और बीएसई मिडकैप सूचकांक 36.4 गुना और 33 गुना के महंगे मूल्यांकन पर हैं।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं शोध प्रमुख जी चोकालिंगम का कहना है, ‘इतिहास इस बात को साबित करता है कि तीन या अधिकतम चार साल में एक बार स्माल एवं मिडकैप (एसएमसी) सेगमेंट हमेशा बहुत बुरी तरह से गिरता है। लार्जकैप और एसएमसी मूल्यांकन के बीच कुछ संतुलन जरूरी है।’