इस हफ्ते हर किसी की नजरें अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर होगी क्योंकि 15-16 मार्च को हो रही दो दिनों की बैठक के आखिर में फेड ब्याज दरें बढ़ा सकता है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में देखने को मिल रहा है जब रूस व यूक्रेन के बीच युद्ध के बादल और गहरा गए हैं और इससे कई अहम जिंसों की कीमतें, खास तौर से कच्चे तेल की कीमतें प्रभावित हुई है।
ज्यादातर विश्लेषकों को लग रहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व आक्रामकता से ब्याज दरें बढ़ाएगा और उन्हें उम्मीद है कि सचाल 2022 में सात बार ब्याज दरें बढ़ाई जाएगी, जिसमें से इस हफ्ते होने वाली बढ़ोतरी 25 आधार अंकोंं की होगी। विश्लेषकों का मानना है कि बाजार मौजूदा स्तर पर इतनी ही बढ़ोतरी समाहित कर रहा है।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक और निदेशक यू आर भट्ट ने कहा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से होने वाली 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी बाजार पहले ही समाहित कर चुका है। हालांकि अगर ज्यादा बढ़ोतरी हुई तो इसे नकारात्मक माना जाएगा। एक अन्य विचार यह भी है कि भूराजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए बढ़ोतरी टाली जा सकती है, जिसकी उम्मीद हालांकि बाजार अभी नहीं कर रहा है। अगर ब्याज बढ़ोतरी टाली जाती है तो अमेरिका में महंगाई और बढ़ेगी और मंदी का खतरा बढ़ेगा।
दूसरी ओर यूबीएस के विश्लेषकों का मानना है कि फेड मार्च में 25 आधार अंकों से ज्यादा फेरबदल नहींं करेगा, हालांकि यूक्रेन संकट के बाद से फेड के कई प्रवक्ता दोहरा चुके हैं कि 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी हो सकती है।
यूबीएस के अर्थशास्त्री ए कप्टेयू ने भानु बवेजा संग लिखे हालिया नोट में कहा है, हम मार्च में 25 आधार अंकोंकी बढ़ोतरी के साथ शुरुआत की उम्मीद कर रहे हैं और नवंबर तक हर बैठक में इतनी ही बढ़ोतरी होगी। इसके बाद ही इस पर विराम लगेगा और फिर अगले साल इसे फिर शुरू किया जाएगा।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक व मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम का भी मानना है कि 15-16 मार्च की आगामी बैठक में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज बढ़ोतरी में आक्रामक रुख नहीं आपनाएगा क्योंकि भूराजनीतिक चिंता है और यह भी कि उसकी खुद की अर्थव्यवस्था किस तरह से आगे बढ़ रही है, उसे लेकर भी चिंता है। उनका भी मानना है कि 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी बाजार ने मौजूदा स्तर पर समाहित कर लिया है।
