आम बजट और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दर बढ़ोतरी को लेकर अगले हफ्ते होने वाले फैसले से पैदा हुई घबराहट के बीच बाजारों में बुधवार को एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई। डेरिवेटिव अनुबंधों की एक्सपायरी (जहां टी प्लस वन निपटान चक्र लागू होगा) और अदाणी समूह के खिलाफ आरोपों का भी निवेशकों की अवधारणा पर असर पड़ा।
बेंचमार्क सेंसेक्स 773 अंक यानी 1.3 फीसदी की गिरावट के साथ 60,205 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 226 अंक यानी 1.3 फीसदी की नरमी के साथ 17,892 अंक पर बंद हुआ। जनवरी में अब तक सेंसेक्स एक फीसदी टूटा है और निफ्टी में 1.2 फीसदी की गिरावट आई है। बैंकिंग शेयरों ने गिरावट की अगुआई की और बैंक निफ्टी इंडेक्स 2.5 फीसदी टूट गया।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने बिकवाली का दबाब बढ़ा दिया और बुधवार को उन्होंने 2,394 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। जनवरी में इनकी कुल बिकवाली 16,776 करोड़ रुपये की रही है और यह जानकारी एनएसडीएल के आंकड़ों से मिली। भारत का मूल्यांकन प्रीमियम, ऊंची ब्याज दरें और चीन की अर्थव्यवस्था का दोबारा खुलने से एफपीआई फंडों का आवंटन दूसरी जगह कर रहे हैं।
जारवी इन्वेस्ट के सीईओ व संस्थापक सुमित चंदा ने कहा, इस गिरावट की कई वजहें हैं, जिसमें बजट 2023 और एफपीआई की तरफ से हो रही निवेश निकासी है। आम बजट जल्द पेश होने वाला है और हमने देखा है कि पिछले 10 वर्षों में 80 फीसदी समय बाजारों में उतारचढ़ाव आया है। हर किसी ने वित्त मंत्री के पास अपनी मांगें रखी है और चूंकि बजट की तारीख करीब है, लिहाजा उतारचढ़ाव की आशंका है। एफपीआई की बिकवाली भी हो सकती है क्योंकि यह इकलौता बाजार है जहां उन्होंने पिछले साल मुनाफा कमाया होगा। चूंकि हमारा मूल्यांकन महंगा हो रहा है, लिहाजा यह स्वाभाविक है कि वे यहां से रकम निकालेंगे और सस्ते मूल्यांकन वाले अन्य उभरते बाजारों की ओर जाएंगे।
आम बजट और फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति की घोषणा 1 फरवरी को होगी। बजट के आसपास बाजारों में सामान्यत: उथलपुथल होती है। साथ ही कुछ घबराहट भी है क्योंकि फेड ने पर्याप्त संकेत दिए हैं कि ब्याज दरें तब तक ऊंची रहेगी जब तक कि अमेरिका में महंगाई फेड के 2 फीसदी लक्ष्य से नीचे न आ जाए। फेड की घोषणा से पहले वैश्विक बाजारों में कमजोरी रही और माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प के बाद अन्य बड़ी फर्मों की आय में नरमी के अनुमान का भी इस पर असर पड़ा। कमजोर आय के परिदृश्य और मंदी के डर ने निवेशकों को चिंतित रखा। हिडनबर्ग रिसर्च की तरफ से यह कहे जाने के बाद कि समूह के शेयरों में उसने शॉर्ट पोजीशन बनाई है, अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, भारतीय इक्विटी में काफी बिकवाली हुई है क्योंकि आगामी बजट और फेड की बैठक को लेकर बाजार आशंकित हो गया है। एफपीआई की लगातार बिकवाली से भी सेंटिमेंट खराब हुआ है, जहां फंड अन्य उभरते बाजारों की ओर जा रहा है, जिसकी वजह आकर्षक मूल्यांकन है। इसके अतिरिक्त कमजोर आर्थिक वृद्धि के परिदृश्य ने भी मंदी का डर बढ़ाया, जिससे वैश्विक बाजारों में कमजोरी आई।
मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज ने कहा है कि भारत के जीडीपी की रफ्तार 2023-24 में घटकर 5.6 फीसदी रह जाएगी, इस खबर ने भी उतारचढ़ाव में योगदान किया। उतारचढ़ाव की एक वजह यह भी रही कि बुधवार साप्ताहिक व मासिक डेरिवेटिव का एक्सपायरी दिन था। एफऐंडओ अनुबंध गुरुवार को एक्सपायर होते हैं, लेकिन गुरुवार को गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य मे बाजार बंद होने से यह एक दिन पहले हो गया।
उतारचढ़ाव का संकेतक वीआईएक्स इंडेक्स बुधवार को बढ़कर 7.3 फीसदी पर पहुंच गया और यह 14.6 पर ट्रेडिंग कर रहा था। आने वाले समय में अमेरिका के चौथी तिमाही के जीडीपी आंकड़े और शुरुआती नौकरीविहीन दावों पर नजर रहेगी। सेंसेक्स के करीब 80 फीसदी शेयर नुकसान के साथ बंद हुए। एचडीएफसी बैंक में 2.8 फीसदी की गिरावट आई और सेंसेक्स के नुकसान में सबसे ज्यादा योगदान इसी का रहा। व्यापक बाजारों का प्रदर्शन कमजोर रहा और निफ्टी मिडकैप व निफ्टी स्मॉलकैप में करीब 1.5 फीसदी की गिरावट आई।