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लोटस और एलटीएस ने वापस ली याचिका, सेबी का डिस्क्लोजर नियम मानेंगे

सेबी ने एफपीआई के लिए अतिरिक्त डिस्क्लोजर की व्यवस्था लागू की ताकि इस मार्ग का दुरुपयोग न हो, खास तौर से न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के नियमों सो बचने के लिए।

Last Updated- September 10, 2024 | 10:13 PM IST
SEBI

मॉरीशस के दो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों लोटस इन्वेस्टमेंट और एलटीएस इन्वेस्टमेंट फंड ने अतिरिक्त डिस्क्लोजर की बाजार नियामक सेबी (SEBI) की अनिवार्यता के खिलाफ अपनी अपीलें वापस ले ली हैं। इन अपीलों पर मंगलवार को सुनवाई होनी थी लेकिन एफपीआई के कानूनी प्रतिनिधि ने अदालत को सूचित किया कि वे इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं।

एफपीआई ने अपनी होल्डिंग की बिकवाली और पोर्टफोलियो को दोबारा संतुलित करने के लिए समयसीमा में बढ़ोतरी की मांग की थी क्योंकि ये होल्डिंग नए नियमों का उल्लंघन थीं। हालांकि पिछले पांच दिनों में उन्होंने अपने पोर्टफोलियो को दोबारा संतुलित किया है और गैर-अनुपालन वाली होल्डिंग बेच दी। लिहाजा उनकी अपील अनावश्यक हो गई। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

इन फंडों ने 20 अगस्त को सैट में अलग-अलग याचिका दाखिल की थी। एफपीआई के लिए दोबारा संतुलन की सेबी की समयसीमा (संकेंद्रण की सीमा के उल्लंघन के कारण) सोमवार को समाप्त हो गई। अदाणी समूह के खिलाफ अपनी रिपोर्ट में शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने इन दोनों को संदेहास्पद बताया था।

सेबी ने एफपीआई के लिए अतिरिक्त डिस्क्लोजर की व्यवस्था लागू की ताकि इस मार्ग का दुरुपयोग न हो, खास तौर से न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के नियमों सो बचने के लिए।

भारत में 50 फीसदी से ज्यादा वैश्विक निवेश या 25,000 करोड़ रुपये की घरेलू इक्विटी होल्डिंग वाले एफपीआई के लिए इस नियम के तहत स्वामित्व व आर्थिक लाभ की विस्तृत जानकारी का खुलासा करना अनिवार्य है। एफपीआई की कई श्रेणियों को इस नियम से छूट मिली हुई है।

सूत्रों ने कहा कि कई अन्य एफपीआई (जिन्होंने अगस्त 2023 के सेबी के परिपत्र पर चूक की है) ने छूट के लिए आवेदन किया था लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं दी गई। नियामकीय अधिकारी दोहराते रहे हैं कि अतिरिक्त खुलासा नियमों पर अमल सहज तरीके से हुआ है और निवेशकों को काफी मोहतल दी गई है।

बाजार नियामक ने ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट (जिन्हें पी-नोट के नाम से जाना जाता है) को भी डिस्क्लोजर के दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा है। जून में एक परिपत्र के जरिये बाजार नियामक ने पंजीकरण की एक्सपायरी के बाद लचीला रुख अपनाया था और उसने एफपीआई को नई डिस्क्लोजर व्यवस्था के तहत अपनी होल्डिंग के समायोजन और पुनर्गठन के लिए अतिरिक्त समय की पेशकश की थी।

First Published - September 10, 2024 | 9:57 PM IST

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