बीते कुछ सालों में IPO बाजार में जो उबाल देखा गया है, वैसा जुनून और दीवानगी भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में पहले कभी नहीं दिखी। 2021 से 2024 के बीच निवेशकों ने IPO को सिर्फ एक ‘शॉर्टकट’ मुनाफे के तौर पर देखना शुरू कर दिया। लेकिन आज वही IPOs निवेशकों को तगड़ा नुकसान दे रहे हैं। करीब 280 कंपनियों ने इस दौरान IPO लॉन्च किए, जिनमें कई को जबरदस्त सब्सक्रिप्शन मिला। लेकिन आज की तारीख में दर्जनों कंपनियों के शेयर अपने इश्यू प्राइस से 50% से भी ज्यादा टूट चुके हैं। इनमें से कुछ में निवेश करने पर आपकी ₹1 लाख की रकम घटकर ₹3,200 रह जाती यानी 97% का नुकसान।
इस नुकसान की सबसे बड़ी मिसाल AGS Transact Technologies है, जिसने जनवरी 2022 में ₹175 प्रति शेयर के भाव पर IPO लॉन्च किया था। उस समय इस IPO को 7.8 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था यानी निवेशकों का भरोसा चरम पर था। लेकिन आज यही स्टॉक ₹6 से भी नीचे ट्रेड कर रहा है। अगर किसी निवेशक ने इस IPO में ₹1 लाख लगाए होते, तो उसकी वैल्यू आज सिर्फ ₹3,200 रह गई होती। यह भारतीय IPO इतिहास में सबसे बड़ा घाटा देने वाली लिस्टिंग में गिना जा सकता है।
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AGS अकेला उदाहरण नहीं है। Popular Vehicles & Services, जिसका हाल ही में IPO आया था, वो भी ₹295 के इश्यू प्राइस से 55% गिर चुका है। वहीं, बड़े नामों की बात करें तो Paytm (One 97 Communications), Star Health, DreamFolks Services जैसी कंपनियों ने भी निवेशकों को गहरे घाटे में डाला है। ये कंपनियां कभी चर्चा का केंद्र थीं, उनकी ‘थीम’ और ‘टेक्नोलॉजी’ ने लोगों को आकर्षित किया था, लेकिन जब मुनाफे की बात आई, तो सब धुंधला हो गया।
इन IPOs का एक कॉमन पैटर्न दिखता है। इश्यू के वक्त कंपनी के फाइनेंशियल्स को ओवरहाइप किया गया। कंपनियों के पास ठोस बिजनेस मॉडल नहीं था, लेकिन मार्केटिंग इतनी तेज थी कि निवेशक बह गए। Paytm इसका क्लासिक उदाहरण है, जहां शुरुआत में शेयर की कीमत ₹2,150 थी, लेकिन आज वो ₹450 के आस-पास है। DreamFolks ने भी ‘एयरपोर्ट लाउंज एक्सेस’ जैसे आकर्षक बिजनेस आइडिया पर सबको लुभाया, लेकिन स्केलेबिलिटी और मुनाफे का कोई साफ रास्ता नहीं था।
Sanctum Wealth के विशेषज्ञ सनत मंडल कहते हैं कि AGS जैसी कंपनियां उस समय चर्चा में आ गई थीं, जब डिजिटल पेमेंट्स का बहुत शोर था। लेकिन इनका असली बिजनेस उतना मजबूत नहीं था यानी कंपनी की कमाई (Revenue) और मुनाफा कमाने की क्षमता (Profit Margin) काफी कमजोर थी। Popular Vehicles नाम की कंपनी ने भी IPO लॉन्च किया, लेकिन उसका बिजनेस भी बहुत खास नहीं था। उनके पास न तो कोई अलग या अनोखी सर्विस थी और न ही ऐसा कोई ब्रांड नाम, जिससे लोग आकर्षित होते।
दूसरी ओर, WealthMills Securities के एक्सपर्ट क्रांति बथिनी बताती हैं कि जब भी आप किसी IPO में पैसा लगाने की सोचें, तो कंपनी की कमाई की रिपोर्ट, बिजनेस का तरीका, मैनेजमेंट की साख और जिस सेक्टर में कंपनी काम कर रही है, उस सेक्टर की स्थिति जरूर जांचें। अगर आप सिर्फ इस आधार पर पैसा लगा रहे हैं कि IPO को बहुत लोग खरीद रहे हैं (सब्सक्रिप्शन डेटा) या उसका ग्रे मार्केट प्रीमियम बहुत ज्यादा है, तो यह भावनाओं में बहकर लिया गया फैसला होगा, न कि सोच-समझकर लिया गया निवेश।
अगर आपने किसी ऐसे IPO में निवेश किया है जो अब घाटे में है, तो घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन आंखें बंद करके बैठना भी नुकसानदेह हो सकता है। SAMCO Securities के रिसर्च हेड अपूर्वा शेठ कहती हैं कि अगर कंपनी का बिजनेस मॉडल मजबूत है और लॉन्ग टर्म में सुधार की संभावना है, तो स्टॉक को होल्ड करना बेहतर होगा। वहीं, अगर कोई स्पष्ट रास्ता नहीं दिखता, तो नुकसान स्वीकार करके स्टॉक से बाहर निकल जाना और पैसे को कहीं और निवेश करना ज्यादा समझदारी होगी। एक और अहम पॉइंट यह है कि घाटे में बिके शेयरों को आप कैपिटल लॉस के रूप में दिखा सकते हैं, जिससे आपको टैक्स सेविंग में मदद मिल सकती है।
भले ही कुछ IPOs ने नुकसान दिया हो, लेकिन पूरे सेगमेंट को खराब नहीं कहा जा सकता। Jefferies की रिपोर्ट बताती है कि 2025 की दूसरी छमाही में भारत में ₹1.5 लाख करोड़ से ज्यादा के IPOs आ सकते हैं। Meesho, Groww, Lenskart जैसी टेक कंपनियों के लिस्टिंग की चर्चा जोरों पर है। लेकिन इस बार निवेशकों को सतर्क रहना होगा- हाइप नहीं, सिर्फ फैक्ट्स पर भरोसा करें।